जैविक तरीके से उगाए जाने वाला काला चावल सेहत के लिए जरूरी प्रोटीन, आयरन, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. इस चावल के इस्तेमाल से स्वास्थ्य और फिटनेस बनाए रखने में मदद मिलती है. इस चावल को न्यूट्रीशन का पॉवरहाउस भी कहा जाता है. इसीलिए इस चावल की काफी डिमांड है. 500 रुपये किलो तक की कीमत में बिकने वाला यह चावल सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी पर केवल 200 रुपये प्रतिकिलो कीमत पर मिल रहा है.
काला चावल की किस्मों में कालाबाती और चखाओ को अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम और ओडिशा समेत कुछ अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में भी उगाया जाता है. यह काला धान 100 से-120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो आम धान फसल के पौधे की तुलना में बड़ा होता है. जैविक तरीके इस चावल की खेती की जाती है.
काला चावल की खेती करने वाले किसान एफपीओ से जुड़े हुए हैं, जिसके चलते उनकी फसल को ऑनलाइन बिक्री किया जाता है. सरकारी ऑनलाइन वेबसाइट ओएनडीसी से जुड़े माईस्टोर से खरीदा जा सकता है. ऑनलाइन बिक रहे इस चावल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो तय की गई है. इस चावल को सुपरफूड के तौर पर भी सेवन किया जाता है क्योंकि कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है.
काला चावल की बिक्री बाजार में या दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में 430 रुपये से 500 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बिक रहा है. जबकि, SFAC के जरिए किसानों के जरिए जैविक तरीके से उगाया गया काला चावल केवल 200 रुपये कीमत में बिक रहा है. मणिपुर, सिक्किम में प्रमुख रूप में पैदा होने वाला यह चावल अब कुछ राज्यों के गिने चुने इलाकों में किसान खेती कर रहे हैं. अधिक पौष्टिकता के चलते मांग ज्यादा है, लेकिन उत्पादन कम होने से बाजार में कीमतें ज्यादा हैं. इसे खाड़ी देशों के साथ ही कई यूरोपीय देशों में निर्यात किया जाता है.