विदेशी नौकरी छोड़ हाईप्रोफाइल युवा बना किसान, रेगिस्तान में बागवानी से की करोड़ों की कमाई

विदेशी नौकरी छोड़ हाईप्रोफाइल युवा बना किसान, रेगिस्तान में बागवानी से की करोड़ों की कमाई

विदेश में नौकरी करने के बाद हाईप्रोफाइल युवा नवदीप ने अपनी करियर की दिशा बदली और अब वह एक सफल किसान बन चुके हैं. नवदीप ने राजस्थान के सिरोही जिले में बागवानी करके सालाना करोड़ों की कमाई कर है.उन्होंने अपनी खेती में नए तकनीक और खेती के नए तरीकों का इस्तेमाल करके बागवानी को एक लाभकारी व्यवसाय बनाया है और रेगिस्तान में कमाई एक नया रास्ता दिखाया है, जो दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल है.

सफल युवा किसान नवदीप
जेपी स‍िंह
  • New Delhi,
  • May 06, 2024,
  • Updated May 06, 2024, 6:06 PM IST

आज जब देश में किसानों के हालात को लेकर माहौल नकारात्मक है, किसानों के बच्चे खेती छोड़कर गांव से पलायन कर, शहरों में नौकरी की तलाश में मजबूर हैं. ठीक इसी समय पर एक दूसरी तस्वीर उभरती है जो उम्मीद जगाती है, जो ऐसे माहौल को आईना दिखाती है, जो खेती को उसका गौरव दिलाती है, जो खेती को बड़े मुनाफ़े का व्यवसाय बनाती है. एक युवा किसान की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा का सबब बन रही है, जो गांवों को छोड़कर शहरों की ओर रुख़ करते हैं. विदेशों में जाकर नौकरी करते हैं और फिर वहीं बस जाने का सपना संजोते हैं. लेकिन वो अपने पीछे छोड़ जाते हैं अपनी मिट्टी की खुशबू, यहां की आबो हवा, माता पिता और रिश्तेदार. लेकिन राजस्थान के सिरोही जिले के निवासी नवदीप गोलेच्छा ने बड़ा काम किया है. उनकी पढ़ाई अच्छी थी, इसलिए कॉलेज के टॉपर बनने के कारण ग्रेजुएट स्कीम के तहत वहां के ‘रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड’ में उनका चयन हो गया. मोटी तनख्वाह थी, सभी सुख-सुविधाएं भीं थीं, लेकिन इस दौरान उनके परिवार वाले उन्हें वापस देश आने का दबाव देने लगे. नवदीप ने नौकरी छोड़ी और अपने वतन भारत वापस आ गए. खेती में ऐसा कमाल दिखाया कि हर साल करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं.

विदेशी नौकरी छोड़, खेती से करोड़ों की कमाई!

नवदीप गोलेच्छा ने 2011 में  इंग्लैंड से वित्तीय अर्थशास्त्र में एमएससी की पढ़ाई की थी. इसके बाद वही पर उन्होंने एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर काम शुरू किया. इस दौरान उनके परिवार वाले उन्हें वापस देश आने का दबाव देने लगे. नवदीप ने साल 2013 में अपनी नौकरी छोड़ी और भारत वापस आ गए. स्वदेश वापसी के बाद उन्होंने पिता की खाली पड़ी ज़मीन पर घर बनाने की सोची, लेकिन उनका मन खेती करने की ओर बढ़ा. वे अपने गांव में 40 एकड़ जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया, जिसमें उनके परिवार में किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था.

नवदीप की खेती का उत्साह उनकी कोई डिग्री नहीं थी. लेकिन उनका जुनून और सपना था. 3 साल के बाद उन्होंने खेती में इतनी उन्नति की कि उन्हें यह कभी सोचने का मौका नहीं मिला था. आज, वे हर साल अनार, पपीता और नींबू की बागवानी में लगभग 25 लाख रुपये खर्च करने के बाद 1.25 करोड़ तक का मुनाफा आराम से कमा लेते हैं.

लोगों ने मजाक उड़ाया, पर लक्ष्य के लिए अडिग

26 साल के नवदीप के परिवार में कोई भी कृषि से नहीं जुड़ा था. लेकिन उनका खुद का मन खेती में था. वे कहते हैं कि जब वे खेती करने के बारे में सोच रहे थे, तो हर कोई उन्हें मजाक उड़ाता था कि "तुम विदेश से पढ़कर आए हो और अब खेती की सोच रहे हो!" उन्होंने बताया कि बहुत से लोग उन्हें गेहूं की खेती करने की सलाह दी. यह कहते हुए कि इसमें ज़्यादा रिस्क नहीं होगा और फिक्स इनकम हो जाएगी. पर नवदीप के लिए कुछ अलग और बड़ा करना था. खेती उनके लिए और भी ज़्यादा चुनौती भरा काम बन गया था. उन्होंने अपने लिए सही फैसले करने का मन बनाना था. अंत में, उन्होंने अनार की खेती का निर्णय लिया.

रेगिस्तान में फल बागवानी से बंपर उपज

युवा किसान नवदीप ने बताया कि सिरोही में 40 एकड़ ज़मीन ली. इस पर सबसे पहले कृषि विभाग के जरिए मिट्टी और पानी की जांच करवाई. साल 2016 में 30 एकड़ में अनार और 3 एकड़ में पपीता लगाया. उन्होंने बताया कि इस निर्णय से लोगों ने मजाक भी बनाया लेकिन वे अपने खेती के काम में लग गए. उन्होंने बताया कि एक एकड़ में अनार के 400 पौधे और पपीते के 1000 पौधे लगवाए. इसके पहले साल पपीता से फल मिलना शुरू हो गया. उनको पहले साल में पपीते के एक पौधे से 80 किलो फल और दूसरे साल से अनार के फल मिलने लगे. एक पौधे से 20 से 22 किलो फल मिलते है जिससे उनको लाखों का फायदा हुआ. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2019 में कागजी नींबू के 10 एकड़ में बाग लगाए और एक में 125 पौधे लगवाए. इस समय उनको एक पौधे से 30 किलो फल मिलता है. उन्होंने तीन एकड़ में सीताफल लगाया है जिसमें फल आना बाकी है.

गुणवत्ता वाले फल के बेहतर दाम

नवदीप ने बताया कि किसान की सोच यही रहती है कि अगर उनके खेत में खड़ा अनार का पौधा 2 साल का है तो उस पर जितने भी फल हैं, वे सब के सब ले लें. लेकिन वह ऐसा नहीं करते और सीमित मात्रा में फल लेने की सोच रखते हैं, ताकि अच्छे साइज़ का फल मिले. दरअसल किसान थिनिंग पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन अनार की खेती में थिनिंग बहुत अहम है. उन्होंने अपनी उपज का निर्यात करने के लिए एपीडा के साथ पंजीकरण कराया और अपने उत्पाद को सीधे निर्यात करने की अनुमति ली. नवदीप नेदरलैंड्स में अपने अधिकांश सामानों का निर्यात करते हैं.

तकनीक से तरक्की का रास्ता

नवदीप ने बताया, मैंने पपीता लगाया था तब कई लोग कह रहे थे कि यह क्षेत्र बबूल के जंगल वाला इलाका है. यहां पर वायरस की प्रॉब्लम आ जाएगी. इसलिए इस पर खर्चा ना करो. उसके बाद भी मैं डरा नहीं और मैंने पपीते की खेती की, बहुत शानदार परिणाम आए. ‘रेड लेडी 786' वैरायटी है. प्रति पौधा 80 से 85 किलो फल निकला था. उन्होंने बताया कि पपीते की खेती को मल्चिंग पेपर पर कर रहा हूं. मल्चिंग के अंदर ही इनलाइन ड्रिप इरिगेशन है. उन्होंने 100 फीसदी जैविक कागजी वैरायटी के नींबू का बगीचा 10 एकड़ में लगाया है. इस बगीचे के नींबू बड़े प्रसिद्ध हैं. खासियत यह है कि कोई भी नींबू 15 से 20 दिन तक खराब नहीं होता.

विविधता वाली बागवानी से सालभर इनकम

नवदीप गोलेच्छा का कहना है कि खेतों में कई तरह के फल लगाना चाहिए क्योंकि मार्केट में भी देखा जाता है कि कभी किसी फल के दाम कम मिलते हैं, कभी ज्यादा. इसलिए विविधतापूर्ण खेती हो तो अच्छी आमदनी होती रहती है. गोलेच्छा कहते हैं, मेरा मानना है कि सालभर खेत से किसी न किसी फल का उत्पादन होते रहना चाहिए. खेती घाटे का सौदा है, यह मिथक तोड़ना होगा. आज के जमाने में खेती को यदि फायदे का सौदा बनाना है तो खेती को खेती की तरह नहीं, इंडस्ट्री की तरह लेना होगा. इस खेती में भी हमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए, प्रोसेसिंग में जाते हुए एक्सपोर्ट तक जाकर बिजनेस को ब्रॉड माइंडेड होकर करना होगा.

 

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