
तमिलनाडु में ऐसे किसान जिन्होंने बड़ी लगन और बड़े निवेश के साथ धान की खेती की थी, इस बार मायूस हैं. राज्य के कृषि विभाग ने पुष्टि की है कि कावेरी डेल्टा क्षेत्र में कटाई के लिए तैयार धान की फसल के 14,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र को पिछले एक हफ्ते से जारी लगातार बारिश से गंभीर नुकसान पहुंचा है. प्रभावित क्षेत्रों में थंजावुर, तिरुवरुर और नागपट्टिनम जिले शामिल हैं, जो राज्य के सबसे बड़े धान उत्पादक क्षेत्रों में से हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष कावेरी डेल्टा क्षेत्र में कुरुवई सीजन के तहत 6.5 लाख एकड़ क्षेत्र में अल्पावधि धान की खेती की गई थी. हालांकि, बंपर पैदावार ने एक अकल्पनीय समस्या खड़ी कर दी है, चावल की सप्लाई में अधिकता और खाद्य विभाग की स्टोरेज में देरी. किसानों ने शिकायत की है कि खरीद केंद्रों की तरफ से धान के उठान और स्टोरेज की प्रक्रिया बहुत धीमी रही है. इसके कारण प्रत्यक्ष खरीद केंद्रों (DPCs) के बाहर धान की बोरियों के ढेर लग गए हैं. उत्तर-पूर्वी मॉनसून की शुरुआत के साथ ही ये खुले में रखे ढेर बारिश के पानी से भीग गए, जिससे धान के दाने अंकुरित हो गए और सड़ने लगे.
थंजावुर के एक किसान, 'हमने पूरे सीजन मेहनत की, लेकिन धान की खरीद में देरी ने हमें बेबस कर दिया है. अब जो फसल हमने काटी थी, वह बेकार हो गई है.' अधिकारियों ने बताया कि देर से बोई गई कुरुवई फसलें और जल्दी बोई गई सांबा फसलें दोनों ही जलभराव के कारण नुकसान झेल रही हैं. कई खेत जो कटाई के लिए तैयार थे, पानी में डूब गए, और कई फसलों में सड़न शुरू हो गई है, एक कृषि अधिकारी ने बताया. इस स्थिति से निपटने के लिए, कृषि विभाग ने हर डेल्टा जिले में फसल नुकसान का आकलन करने के लिए एक सर्वे शुरू किया है.
शुरुआती अनुमान के अनुसार करीब 14,000 एकड़ धान की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं. निरीक्षण जारी रहने के कारण यह आंकड़ा आगे और बढ़ने की संभावना है. किसान संगठनों ने राज्य सरकार से तत्काल मुआवजा देने और बीमा दावों के शीघ्र निपटारे की मांग की है. उनका कहना है कि बारिश से बार-बार होने वाले नुकसान और खरीद प्रक्रिया में देरी के कारण कई छोटे किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. उत्तर-पूर्वी मॉनसून के तेज होने के साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे खेतों में जलनिकासी की स्थिति पर लगातार नजर रखें. तमिलनाडु के प्रमुख धान उत्पादन क्षेत्रों में अनाज की खरीद प्रक्रिया को तेज करें, ताकि आगे और नुकसान को रोका जा सके.
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