कैसे की जाती है सफेद मूसली की खेती, यहां जानें सब कुछ

कैसे की जाती है सफेद मूसली की खेती, यहां जानें सब कुछ

सफेद मूसली में कई गुण होते हैं. लेक‍िन, बहुत से लोगों को इस पौधे के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है. दरअसल यह एक औषधीय पौधा है. लोग इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. आइए जानते हैं इसकी खेती कैसे की जाती है. 

सफेद मूसली एक औषधीय पौधा है जिसकी खेती आमतौर पर अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है, फोटो साभार Amazon.inसफेद मूसली एक औषधीय पौधा है जिसकी खेती आमतौर पर अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है, फोटो साभार Amazon.in
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 15, 2023,
  • Updated Jan 15, 2023, 6:22 PM IST

 सफेद मूसली की खेती के बारे में आज हम बात करते हैं. बहुत से लोगों को इस पौधे के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है. दरअसल यह एक औषधीय पौधा है. पिछले कुछ सालों से इन पौधों का उपयोग न केवल भारत में किया गया. बल्कि निर्यात करने के लिए भी इसकी मांग में बढ़ोतरी हुई है. इस पौधे की बात करें तो इसके जड़ें अपने औषधीय गुणों की वजह से जानी जाती हैं. इसकी जड़ों से कई तरह की आयुर्वेदिक टॉनिक बनाई जाती हैं. यही कारण है कि लोग इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. आइए जानते हैं इसकी खेती कैसे की जाती है. 

मिट्टी और जलवायु 

कोई भी खेती करने के लिए सबसे पहले यह पता लगाना जरूरी होता है कि वहां कि मिट्टी और जलवायु उस पौधे के अनुकूल है या नहीं. इस पौधे की खेती के लिए अधिक वर्षा वाले क्षेत्र अनुकूल होते हैं. ऐसे इलाके जहां 500- 100 मिमी वर्षा होती है. उन जगहों पर इसकी खेती की जाती है. हालांकि पौधे की वृद्धि और विकास के लिए सामान्य वायुमंडलीय आर्द्रता की जरूरत होती है. वहीं मिट्टी की बात करें तो अच्छी जल निकासी वाली रेतीली, दोमट मिट्टी अनुकूल होती है, काली मिट्टी में भी इसकी खेती की जाती है. 

खेती करने की विधि

इसकी खेती मई के आखिरी सप्ताह से लेकर मध्य जून तक करनी चाहिए. खेती के लिए भूमि की अच्छी गहरी जुताई करके पूरे खेत में पाटा चला लें ताकि खेत की मिट्टी समतल हो जाए उसके बाद पूरे खेत में क्यारियां बना लें, ध्यान रहे खेत में जल निकासी के लिए ढलान की व्यवस्था करें. उसके बाद खेत में पौधे की रोपाई करें रोपाई के 15-30 सेमी की दूरी का ध्यान रखें. पौधे की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए  करीब 15 टन गोबर की खाद डालें.

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 पौधे की रोपाई के 2 महीने बाद तक पौधे के साथ उगने वाले अनावश्यक खरपतवार की सफाई करना बहुत जरूरी है. निराई- गुड़ाई के साथ पौधे पर मिट्टी भी चढ़ाते रहें. ताकि पौधे की जड़ मजबूत होती रहे. सिंचाई की बात करें तो अच्छी बरसात के दौरान बिल्कुल भी सिंचाई की जरूरत नहीं है. उसके बाद खेत की नमी को ध्यान में रखते हुए सिंचाई करें. जब पौधे मुरझुराना शुरू कर दें तो समझ जाएं कि अब पौधे की खुदाई होनी चाहिए. जड़ों के परिपक्वता की जांच कर दिसंबर महीने में खुदाई कर दें. 

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