ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को काफी महत्व दिया जाता है. शुद्ध दूध,दही आदि के लिए लोग गाय भैंस का पालन करते हैं. इन दुधारू पशुओं का इस्तेमाल व्यावसायिक तौर पर भी किया जाता है ताकि मुनाफा कमाया जा सके. ऐसे में लोग इन पशुओं की खरीदी तो करते हैं लेकिन सही पशु का चयन नहीं कर पाते हैं जिस वजह से उन्हें उतना दूध नहीं मिल पाता है. ऐसे में पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है. पशुपालक जब भी दुधारू पशु खरीदें तो कुछ जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि इस तरह के नुकसान का जोखिम ना उठाना पड़े.
यदि आप दूध का व्यापार करने के उद्देश्य से पशु खरीदी कर रहे हैं तो पशु की दूध देने की क्षमता की जांच कर लें. वह 2-3 बार दूध देती है या नहीं. पशु के स्वभाव की जांच कर लें क्योंकि अधिकांश पशु केवल कुछ निश्चित व्यक्तियों के दुहने पर ही दूध देती हैं. इसलिए आप खुद 2-3 दिनों तक दूध दुह कर देख लें. इसके अलावा उसके थन की जांच कर लें दूध की धार सीधे पात्र पर गिरती है या नहीं. साथ ही यह भी देख लें कि दूध दुहने के बाद पशु का थन कहीं सिकुड़ तो नहीं रहा है.
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यदि पशुओं के प्रजनन क्षमता की बात करें तो आदर्श दुधारू गाय वही होती हैं जो प्रति वर्ष बच्चा दे. इसलिए गाय खरीदते समय उसके प्रजनन क्षमता की जानकारी अच्छी तरह से लें क्योंकि कई बार पशुओं में यह समस्या वंशानुगत भी हो सकती है. इसलिए ऐसा होने पर गर्भपात होना या स्वस्थ बच्चा न देने, प्रसव के समय अन्य कठिनाई जैसी अनेक समस्याएं आ सकती हैं.
पशुओं की खरीदारी करते समय उनके स्वास्थ्य की जांच करना सबसे महत्वपूर्ण होता है. पशुओं के स्वभाव को देखकर आप आसानी से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ले सकते हैं. जैसे पशुओं के स्वभाव में चंचलता है या नहीं, भोजन चबा कर खा रही है या नहीं. सहलाने पर किस तरह की प्रतिक्रिया है आदि. यदि आप जांच नहीं कर सकते तो पशु खरीदते समय किसी अनुभवी और समझदार व्यक्ति की सलाह ले सकते हैं. इसके अलावा पशुओं के टीकाकरण की जानकारी या पूर्व में आई संक्रमित बीमारियों के लक्षण दिखने पर पशुओं की खरीदी न करें. क्योंकि हवा, पानी बदलने से पशुओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्या होना लाजिमी है. घर लाने के बाद भी पशुओं की साफ सफाई और खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. साथ ही पशुओं को चिकित्सकों के संपर्क में रखें और उनकी सलाह पर ही भोजन- पानी दें.
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