
हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि राज्य सरकार ने अगले पांच वर्षों में 15,000 एकड़ में लगभग 30,000 टन झींगा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्तमान उत्पादन के मुकाबले चार गुना होगा..चालू वित्त वर्ष में अब तक लगभग 4350 एकड़ में 7500 टन झींगा का उत्पादन हुआ है. इससे मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि हुई है. मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ नई-नई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. दलाल विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने राज्य के मछलीपालन क्षेत्र के कार्यों और योजनाओं की जानकारी दी.
दलाल ने बताया कि गांव गरवा, जिला भिवानी में 25 एकड़ भूमि में लगभग 100 करोड़ रुपये लागत से एकीकृत एक्वा पार्क-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के निर्माण को मंजूरी दी गई है. जल्दी ही निर्माण कार्य की शुरूआत होगी. प्रदेश के खारे पानी व जल भराव वाले क्षेत्र तथा आसपास के प्रदेशों जैसे पंजाब व राजस्थान के किसानों के लिए यह सेंटर एक वरदान साबित होगा. इतना ही नहीं गांव सुल्तानपुर, जिला गुरुग्राम में एक मॉडर्न होलसेल फिश मार्केट का निर्माण किया जाना भी प्रस्तावित है. दरअसल, हरियाणा में 2 लाख एकड़ भूमि खारे पानी वाली है. जिसका उपयोग झींगा पालन के लिए किया जाएगा. इसीलिए राज्य में झींगा उत्पादन बढ़ने की काफी संभावना है.
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दलाल ने कहा कि इस वर्ष अब तक राज्य में 46,493 एकड़ जलक्षेत्र में 1.62 लाख टन मत्स्य उत्पादन हुआ है. जबकि पिछले साल 45,015 एकड़ जलक्षेत्र में 2.12 लाख टन मत्स्य उत्पादन हुआ था. वर्ष 2014-15 में विभाग का बजट मात्र 7 करोड़ रुपये था, जिसे वर्तमान सरकार ने बढ़ाकर लगभग 250 करोड़ रुपये कर दिया है, जोकि लगभग 36 गुणा बढ़ोतरी है. उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से किसानों को आधुनिक तकनीक द्वारा मछली उत्पादन बढ़ाने की ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है. आज हरियाणा मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर प्रदेश बन चुका है.
पशुपालन मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना को हरियाणा में व्यापक तरीके से लागू किया गया है. परिणामस्वरूप रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) के 116 प्रोजेक्ट लगाए हैं. इसके अलावा, बायोफ्लोक के 287 प्राजेक्ट लगाने के साथ-साथ 10 कोल्ड स्टोरेज और 12 फीड मिल प्लांट भी स्थापित किए गए हैं. इसके साथ ही 12 रेफ्रिजरेटेड वाहन भी प्रदान किए गए हैं. सम्मेलन में राज्यों के मत्स्य पालन मंत्री, विभिन्न देशों के राजदूत, वैश्विक मत्स्य वैज्ञानिक, नीति निर्माता, मछली पालक और निवेश बैंकर मौजूद रहे. इसमें भारत के मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर चर्चा होगी.
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