उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सभी चीनी उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों से अनुरोध किया है कि वे फसल की स्थिति पर नजर रखें. गन्ने के रकबे, उपज और चीनी उत्पादन के बारे में अपनी जानकारी दें. यह जानकारी या रिपोर्ट अगले सीजन के लिए चीनी निर्यात नीति के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का आधार बनेगी. भारत सरकार ने हमेशा घरेलू खपत के लिए चीनी की उपलब्धता, इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्जन तथा मौसम के अंत में पर्याप्त क्लोजिंग बैलेंस को प्राथमिकता दी है. सरकार का यह बयान तब आया है जब वर्तमान चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2022-23, सितंबर 2023 की 30 तारीख को समाप्त हो रहा है.
मंत्रालय ने कहा है कि निर्यात के लिए तभी अनुमति है जब सरप्लस चीनी हो. यह व्यवस्था घरेलू बाजार में दाम की स्थिरता सुनिश्चित करती है. चीनी मिलों को कोई सब्सिडी नहीं होने के बावजूद भारतीय उपभोक्ताओं को विश्व में सबसे कम कीमतों में से एक पर चीनी मिल रही है. इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने विभिन्न चीनी मिलों से व्यापारियों से संबंधित सूचना मांगी है, ताकि देश के विभिन्न भागों में चीनी के स्टॉक की बारीकी से निगरानी करने के लिए एक व्यवस्था बनाई जा सके.
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केंद्र सरकार कहा कि समय पर किए गए उपायों से पूरे वर्ष के लिए पूरे देश में उचित दाम पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हुई है. भारत ने पहले ही 330 एलएमटी के चीनी उत्पादन को पार कर लिया है, जिसमें एथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 43 एलएमटी का डायवर्जन शामिल नहीं है. इस प्रकार देश में कुल उत्पादन लगभग 373 एलएमटी होगा जो पिछले 5 चीनी मौसमों में दूसरा सबसे अधिक है.
देश के नागरिकों को प्राथमिकता और किसानों को देय गन्ने की निकासी सुनिश्चित करते हुए भारत ने निर्यात कोटा को केवल 61 एलएमटी तक सीमित कर दिया. इसके परिणामस्वरूप अगस्त, 2023 के अंत में लगभग 83 एलएमटी चीनी का स्टॉक रहा. यह स्टॉक लगभग साढ़े तीन महीने की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. यह तथ्य घरेलू उपभोक्ताओं को आश्वस्त करता है कि भविष्य में भी उनके लिए उचित मूल्य पर चीनी उपलब्ध होने की आशा है. भारतीय चीनी विश्व में सबसे सस्ती है. भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अब तक सितंबर 2023 में मॉनसून सामान्य रहा है. महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के गन्ना क्षेत्रों में भी बारिश हुई है, जिससे बेहतर फसल की संभावना में सुधार हुआ है.
उद्योग संघों ने भी अपनी पर्याप्त स्टॉक की पुष्टि की है और इस बात की सराहना की है कि सीजन के अंत में चीनी के ठीक क्लोजिंग बैलेंस की उपलब्धि के परिणामस्वरूप मिलों की वित्तीय स्थिति बेहतर हुई है. यह सरकार और उद्योग के सभी सामूहिक प्रयासों का परिणाम है कि मिलों द्वारा 1.07 करोड़ रुपये (चालू सीजन के गन्ना बकाया का 94 प्रतिशत) से अधिक का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, जो चीनी क्षेत्र के बारे में किसानों में उत्साह पैदा करता है.
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