धान-गेहूं की पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर देश में सुगंधित पौधों की खेती का विस्तार हो रहा है, क्योंकि इनसे किसानों को अच्छा फायदा मिल रहा है. ऐसे ही एक पौधे का नाम है जिरेनियम. यह औषधीय और सुगंधित पौधा है, जिससे निकला तेल विभिन्न उद्योगों में उपयोगी होता है. इसकी तेज़ खुशबू, खासकर गुलाब जैसी, इसे परफ्यूम और खुशबूदार साबुन बनाने वाली इंडस्ट्री में काफी उपयोगी बना देती है. इसके तेल की भारी मांग और ऊंची कीमत के कारण, इसकी खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में इसकी औसत कीमत 20 हजार रुपये प्रति लीटर तक है. लेकिन इसका उत्पादन अपने देश में बेहद कम है. अपने यहां सिर्फ 2 टन ही तेल पैदा होता है, जबकि 20 टन का इंपोर्ट होता है.
जिरेनियम का तेल उसके पौधे के पत्तों और डंठलों से भाप के जरिए निकाला जाता है. इसका तेल निकालना कठिन है इसलिए यह काफी महंगा है. यदि किसान जिरेनियम की खेती करें तो वो बंपर कमाई कर सकते हैं. हालांकि, जिरेनियम की खेती हर तरह की मिट्टी में नहीं हो सकती. इसकी खेती ऐसे एरिया में की जानी चाहिए जहां बलुई दोमट और शुष्क मिट्टी हो. इसकी खेती में मेहनत लगती है लेकिन फायदा अच्छा खासा मिलता है.
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जिरेनियम की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से तैयारी करनी चाहिए. खेत की दो-तीन जुताई करने के बाद रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा बनाकर समतल कर लें. इसके बाद, खेत में पानी की निकासी के लिए उचित व्यवस्था करें. पौधों को रोपने से पहले सुनिश्चित करें कि नर्सरी में 20 से 22 हजार पौधे तैयार हों. ये पौधे कटिंग के जरिए तैयार किए जाते हैं, जिन्हें 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपित किया जाता है. इसके बाद, पौधों की सही देखभाल करना होता है.
औषधीय पौधे जिरेनियम के अच्छे विकास के लिए प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल गोबर खाद डालें. इसके अलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उचित मात्रा में उपयोग करें. खासतौर पर नाइट्रोजन को 15 से 20 दिनों के अंतराल पर देना चाहिए. सिंचाई का विशेष ध्यान रखें. जिरेनियम की फसल कम पानी वाली होती है, इसलिए अत्यधिक सिंचाई से बचें. इसके पौधों में जड़ गलन रोग होने का खतरा बढ़ सकता है.
जब जिरेनियम के पौधों की पत्तियां परिपक्व हो जाएं, तब उनकी कटाई करनी चाहिए. आमतौर पर चार महीने बाद यानी 120 दिन में पत्तियां परिपक्व होती हैं. इस समय पत्तियों की कटाई करते समय यह सुनिश्चित करें कि पत्तियां पीली या अत्यधिक रस वाली न हों. साल भर में किसान अच्छी मात्रा में तेल निकाल सकता है.
एक एकड़ में जिरेनियम की खेती करने पर लगभग एक लाख रुपये का खर्च आता है. जिसमें ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, पौधों की लागत, खाद और श्रम का खर्च शामिल होता है. इसके अलावा, किसानों को खेत की तैयारी और अन्य लागत भी जोड़नी पड़ती हैं. साल भर में किसान आसानी से 25 लीटर तेल निकाल लेगा. जिससे उसका शुद्ध लाभ चार लाख रुपये का हो जाएगा.
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