
देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई अब पूरी हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुआई होना बाकी है. ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक बुआई नहीं की है, उन्हें सलाह भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने सलाह दी है कि वे अच्छी पैदावार के लिए पछेती खेती के लिए उन्नत किस्में ही चुनें. साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि वे जलवायु अनुकूल किस्मों का चयन करें, और बीज हमेशा भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें. बता दें कि ये सलाह 1 दिसंबर से 15 दिसंबर तक के लिए दी गई है.
जिन किसानों ने गेहूं की अगेती बुवाई (25 अक्टूबर से 5 नवम्बर) की है, वे समय पर (30-35 दिन) खरपतवार प्रबंधन और पहली सिंचाई (21-25 दिन) अवश्य कर दें. साथ ही, किसी भी प्रकार के कीट या रोग के लक्षणों की पहचान के लिए खेत की नियमित निगरानी करते रहें. 5 नवंबर के बाद बोई गई गेहूं के लिए, पहली सिंचाई (21-25 दिन) की व्यवस्था करें साथ ही पानी समुचित मात्रा में लगाएं. गेहूं की फसल में पहली सिंचाई बहुत आवश्यक है. अतः इसमें किसी भी प्रकार की कोताही न बरतें.
गेहूं की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर तैयार करें. फिर बीज उपचार करके बुवाई करें. बीज उपचार करने के लिए बीज को कार्बेंडाजिम 50% W जैसे किसी रसायन से उपचारित करें. समय पर बुवाई के लिए 40 किलो प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती है. वहीं, बुवाई की बात करें तो लाइन से लाइन की दूरी 22-25 सेमी रखते हुए सीड ड्रिल से बीज बोएं. बुवाई के समय डीएपी, यूरिया और पोटाश जैसी खाद डालें. उसके बाद फसल को 3-4 बार पानी दें.