जनवरी में महंगाई से मिलेगी राहत! इन फल- सब्जियों की कीमत में आ सकती है गिरावट

जनवरी में महंगाई से मिलेगी राहत! इन फल- सब्जियों की कीमत में आ सकती है गिरावट

अक्टूबर महीने में 95.20 रुपये किलो मिलने वाली शिमला मिर्च जनवरी में 40 रुपये किलो तक बिक सकती है. जबकि, केले की कीमत में कोई बदलाव नहीं होगा. बी2सी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओटिपी का कहना है कि मौसमी फलों की कीमत मौसम के हिसाब से बदलती रहती है.

क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 25, 2023,
  • Updated Nov 25, 2023, 4:16 PM IST

आम जनता के लिए राहत भरी खबर है. नए साल में उन्हें महंगाई की मार नहीं झेलनी पड़ेगी. दिल्ली- एनसीआर में अगले दो महीने तक फल और सब्जियों की कीमत में बढ़ोतरी नहीं होगी, बल्कि गिरावट ही आ सकती है. जनवरी में एक किलो अनार की कीमत 131 रुपये हो जाएगी, जोकि अक्टूबर महीने में 250 रुपये थी. इसी तरह टमाटर की कीमत में भी गिरावट आ सकती है. जनवरी आते- आते टमाटर 25 रुपये किलो हो जाएगा. बी2सी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओटिपी का कहना है कि अगर नए साल के आगमन पर सब्जी और फल की कीमतों में बढ़ोतरी होती भी है, तो उसके लिए मौसम ही जिम्मेदार होगा.

द हिंदू बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी आते- आते हरी सब्जी और फल सस्ते हो सकते हैं. अक्टूबर महीने में 95.20 रुपये किलो मिलने वाली शिमला मिर्च जनवरी में 40 रुपये किलो तक बिक सकती है. इसी तरह अदरक की कीमतों में भी गिरावट आ सकती है. अगस्त में 182 रुपये किलो बिकने वाला अदरक की कीमत, जनवरी में घटकर 100 रुपये हो जाएगी. वहीं, गाजर का रेट 50 रुपये से घटकर 30 रुपये किलो हो जाएगा. हलांकि, जनवरी में सेब की कीमत में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. नवंबर जो सेब 130.30 रुपये किलो किलो मिल रहा था, जनवरी में उसकी कीमत बढ़कर 179.40 रुपये हो सकती है. 

अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं 

ओटिपी के एक अधिकारी का कहना है कि कंपनी फल और सब्जियों की कीमतों का विशेषण कर समय- समय पर एक सूचकांक रिपोर्ट जारी करती है. कंपनी कुछ सालों तक टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) कीमतों को लेकर भी भविष्यवाणी कर चुकी है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब फल और सब्जियों की कीमतें गिरती हैं तो किसानों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में कंपनी का यह अलर्ट किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. किसान रेट गिरने से पहले अपनी उपज को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.   

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रेट पूर्वानुमान एक बड़ी चुनौती है

एक अधिकारी ने कहा कि स्थानों के आधार पर कीमतों में अंतर की वजह से रेट पूर्वानुमान लगाना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में मैक्रो स्तर की कीमत की भविष्यवाणी करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि निजी क्षेत्र का ऐसे रेट पूर्वानुमान करने के लिए स्वागत है, जिससे सरकार को बाजार की जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिलेगी. यदि सरकार खुद भविष्यवाणी जारी करती है तो बड़ा अंतर होता है. वहीं, ओटिपी के संस्थापक-सीईओ, वरुण खुराना ने कहा कि कीमतों की भविष्यवाणी करने से उपभोक्ता को लाभ होता है. इसके अलावा यह पहल किसानों को भी मदद करती है. 

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