अमरूद का जानी दुश्मन है फल मक्खी कीट, इन सस्ती दवाओं के इस्तेमाल से कर सकते हैं बचाव

अमरूद का जानी दुश्मन है फल मक्खी कीट, इन सस्ती दवाओं के इस्तेमाल से कर सकते हैं बचाव

अमरुद में विटामिन ए, बी और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है. इसमें कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिस वजह से अमरूद की मांग हमेशा बनी रहती है. लेकिन वहीं अमरूद का जानी दुश्मन मक्खी कीट की वजह से उत्पादन पर काफी असर पड़ता है.

अमरूद की फसल को इस कीट से हो सकता है खतराअमरूद की फसल को इस कीट से हो सकता है खतरा
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Feb 06, 2024,
  • Updated Feb 06, 2024, 6:29 PM IST

भारत में अमरूद की खेती 17वीं शताब्दी से की जा रही है. अमरूद की फसल आम, केला और नींबू के बाद चौथे स्थान पर उगाई जा रही है. इसके साथ ही भारत की जलवायु में पैदा होने वाले अमरूद की मांग विदेशों में भी बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसकी व्यावसायिक खेती भी की जा रही है. अमरूद का स्वाद अधिक स्वादिष्ट और मीठा होता है, जिसके कारण इसे खाने के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. अमरूद में कई औषधीय गुण भी होते हैं, इसका उपयोग मुख्य रूप से दांतों से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है और इसकी पत्तियों को चबाने से दांतों में सड़न का खतरा कम हो जाता है. वहीं पोषक तत्वों की बात करें तो अमरुद में विटामिन ए, बी और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है. इसमें कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिस वजह से अमरूद की मांग हमेशा बनी रहती है. लेकिन वहीं अमरूद का जानी दुश्मन मक्खी कीट की वजह से उत्पादन पर काफी असर पड़ता है. ऐसे में इस कीट से अमरूद की फसल को बचाने के लिए किसान इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. 

क्या है फल मक्खी कीट?

यह कीट अमरूद की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है. खासकर बारिश के समय फसलों पर इसका प्रकोप सबसे अधिक होता है. यह मक्खी पीले रंग की होती है, जो घरेलू मक्खी से आकार में थोड़ी बड़ी होती है. इसे डॉकस डार्सिलिस के नाम से जाना जाता है. यह मक्खी फलों के अंदर समूह में अंडे देती है. ये अंडे सफेद रंग के होते हैं और छोटे चावल के दानों के आकार के होते हैं. रोपण के 2-3 दिन बाद अंडों से बिना पैर वाले सफेद कीड़े निकलते हैं और फल के अंदर का गूदा खाना शुरू कर देते हैं. जिस वजह से फलों में सड़न हो जाती है. वे कमजोर होकर गिरने लगते हैं. 

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इस कीट से बचाव का तरीका

  • गर्मियों में बगीचे की गहरी जुताई करें. जिससे मिट्टी में मौजूद मक्खी के प्यूपा सतह पर आ जाएं और गर्मी के कारण नष्ट हो जाएं या पक्षियां उन्हें खा लें.
  • खराब फलों को जमा कर जमीन में गहरा गाड़ देना चाहिए या जलाकर नष्ट कर देना चाहिए, ताकि कीटों का जीवन चक्र समाप्त हो जाए. बारिश की फसलों में इसका प्रकोप अधिक होता है.
  • फल मक्खियां अमोनिया और आइसोयूजेनॉल नामक रसायन से बने पदार्थ से आकर्षित होती हैं. इन्हें कीटनाशकों के साथ मिलाकर कीटों को नष्ट किया जा सकता है.
  • फल मक्खी के जाल से एक विशिष्ट गंध निकलती है. यह मक्खी को अपनी ओर आकर्षित करता है. एक बोतल में 200 मि.ली. मिथाइल यूजेनिल 0.1 प्रतिशत + मैलाथियान 0.1 प्रतिशत को पानी में घोलकर पौधे पर 5-6 फीट की ऊंचाई पर लटका दें. ट्रैप मिश्रण को हर सप्ताह बदलें. इसे कलियां निकलने के समय बगीचों में उचित दूरी पर लगाना चाहिए. एक हेक्टेयर क्षेत्र में 10 जाल पर्याप्त होते हैं.
  • कार्बोरिल 0.2 प्रतिशत या सेविन या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी. 1 का एमएल. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. 500 मि.ली. मैलाथियान (साइथियन) 50 बीसी + 5 किग्रा 500 लीटर पानी में गुड़ या चीनी मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. यदि प्रकोप बना रहता है तो 7 से 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं.

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