देश के उत्तरी भागों में ठंड, पाला और शीतलहर का असर देखा जा रहा है. घना कोहरा भी परेशान किए हुए है. एक तरफ जहां लोगों को इससे परेशानी झेलनी पड़ रही है, तो दूसरी ओर फसलों के लिए भी आफत की स्थिति बन गई है. बात करें चाय की तो सबसे अधिक प्रभाव पाला और गिरते तापमान का देखा जाता है. मुन्नार और निलगिरी में इसकी वजह से चाय की खेती बेहद प्रभावित हुई है. इन दोनों इलाकों में चाय की खेती अच्छी होती है. लेकिन पाला और तापमान में तेजी से गिरावट की वजह से चाय की पैदावार गिर गई है.
मुन्नार में पाला का अधिक असर है जबकि निलगिरी में तापमान में भारी गिरावट है. इससे दोनों जगहों पर चाय की पैदावार में कमी देखी जा रही है. दरअसल, मौसम बिगड़ने की वजह से इन दोनों क्षेत्रों में चाय की पत्तियां तोड़ने में परेशानी आ रही है. इससे जनवरी महीने में चाय का उत्पादन 15-20 परसेंट तक कम होने की आशंका है.
मौसम की गड़बड़ का असर चाय की नीलामी पर भी देखा जा रहा है. नीलामी के लिए चाय की पत्तियां सेंटर पर लाई जाती हैं, लेकिन वहां आवक सही नहीं देखी जा रही. कुन्नूर के नीलामी सेंटर पर चाय की 20-25 परसेंट आवक कम हुई है. आने वाले हफ्ते में ऐसी ही स्थिति बने रहने की संभावना है. कोच्चि नीलामी सेंटर पर भी चाय की आवक में 10-15 फीसद की गिरावट देखी जा रही है.
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'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट बताती है, शुरुआती अनुमानों के मुताबिक मौसम में आई गड़बड़ी से निलगिरी में 250 हेक्येटर चाय के बागानों पर असर देखा जा रहा है. शुरुआती अनुमान में कहा गया है कि इससे चाय के उत्पादन में 10-15 फीसद की कमी आएगी. एक अधिकारी ने बताया कि यह नुकसा और भी अधिक होगा क्योंकि आने वाले दिनों में तापमान और गिरेगा जिसका असर चाय के पौधों पर दिखेगा. चाय की पत्तियां तोड़ने में भी दिक्कतें आएंगी.
अधिकारियों ने बताया कि मुन्नार में तब स्थिति और भी खराब होगी जब तापमान जीरो के आसपास जाएगा. कई चाय बागानों में भारी परेशानी देखी जाएगी. तापमान जीरो पर जाने से पाले की स्थिति बनेगी जो चाय के लिए घातक होगी. इससे उत्पादन में 20-25 फीसद की कमी आ सकती है. अभी यह शुरुआती अनुमान है और अंतिम आंकड़ा तब आएगा जब स्थिति सामान्य होगी.
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निलगिरी बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजयन बताते हैं, इस बार की ठंड बहुत मुश्किल भरी है जिसने चाय की पत्तियां तोड़ने में दिक्कतें पैदा की हैं. कोटागिरी, कुन्नूर और ऊंटी जैसे क्षेत्रों में चाय की पत्तियां नहीं तोड़ी रहीं. जनवरी में हालांकि चाय का उत्पादन कम होता है और 45,000 किलो से 50,000 किलो के आसपास होता है. लेकिन इस बार जनवरी में 50 परसेंट तक चाय का उत्पादन कम होने का अनुमान है. पाले ने चाय की पत्तियों के साथ उसके नए तनों को भी बेहद प्रभावित किया है.