मूंगफली किसानों को फंगल संक्रमण से भारी नुकसान झेलना पड़ता है. यह फंगल संक्रमण एस्परगिलस फ्लेवस के कारण होता है और इसे एफ्लेटॉक्सिन कहते हैं. यह फसल को प्रदूषित और संक्रमित करने के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है. एफ्लेटॉक्सिन केवल मूंगफली ही नहीं बल्कि अनाज, तिलहन समेत अन्य फसलों को भी खराब करता है. इसकके खात्मे के लिए वैज्ञानिकों ने मूंगफली में सेल्फ डिफेंस मैकेनिज्म को खोजा है. अध्ययन के नतीजों से यह संकेत जताया जा रहा है कि भविष्य में इस संक्रमण के प्रति पूरी तरह से सुरक्षित मूंगफली की किस्मों की पैदावार में मदद मिल सकेगी.
ICRISAT (इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) के वैज्ञानिकों ने कुछ मूंगफली में अब तक अज्ञात रहे आत्मरक्षा मैकेनिज्म की खोज की है जो फंगल संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. ऐसे में इस बात को बल मिला है कि न केवल मूंगफली बल्कि अन्य किस्मों में और फसलों में भी प्राकृतिक डिफेंस सिस्टम का विकास हो सकता है.
एस्परगिलस फ्लेवस के कारण होने वाला एफ्लेटॉक्सिन से फूड सेफ्टी नष्ट होती है और सेवन से लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता है. एस्परगिलस प्रजाति के संक्रमण के कारण एफ्लेटॉक्सिन विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे अनाज, तिलहन, दालें और मूंगफली में जमा हो जाता है. एफ्लाटॉक्सिन संक्रमण वैश्विक चुनौती बना हुआ है, जो खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है.
ICRISAT के ताजा अध्ययन का उद्देश्य मूंगफली में प्रतिरोध संबंधी मेटाबोलाइट्स की पहचान करना है जो एफ्लेटॉक्सिन के खिलाफ डिफेंस मैकेनिज्म पर असर डालते हैं. अध्ययन ने उन जैव रासायनिक प्रक्रियाओं का खुलासा किया जो दूसरी कोशिका दीवार को मोटा करती हैं. इससे एस्परगिलस फ्लेवस के कारण होने वाले फंगल संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है. इसमें कहा गया है कि खाद्य वस्तुओं में एफ्लेटॉक्सिन के अनुमानित स्तर पर सख्त सरकारी नियम खाद्य बाजार और निर्यात अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं. जबकि, एफ्लेटॉक्सिन के संक्रमण से निपटने और उसे कम करने के साथ प्रबंधित करने के लिए विभिन्न भौतिक और रासायनिक तरीके मौजूद हैं.
अध्ययन यह संकेत देता है कि भविष्य में एस्परगिलस संक्रमण के प्रति पूरी तरह से प्रतिरोधी मूंगफली की किस्मों की उपज के लिए महत्वपूर्ण होगी. शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के नतीजे बीज के संक्रमण को कम करने में कोशिका दीवारों की मोटाई की अहमियत को स्पष्ट करते हैं. यदि हम मूंगफली में संक्रमण को और कम करने के मैकेनिज्म को जोड़ लेते हैं लेते हैं तो हम वास्तव में एफ्लेटॉक्सिन मुक्त मूंगफली की ओर बढ़ना शुरू कर सकते हैं. इस अध्ययन के लिए ICRISAT शोधकर्ताओं ने पहली बार एस्परगिलस संक्रमण के प्रति बढ़ती मूंगफली के डिफेंस मैकेनिज्म के पीछे जैव रसायन को समझने के लिए मेटाबोलॉमिक्स बेस्ड सिस्टम बायोलॉजी का इस्तेमाल किया.