महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन ने राज्य के प्याज किसानों से अपील की है कि वे अपना प्याज उन किसान उत्पादक कंपनियों को न दें जो नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (NAFED) और नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) के लिए प्याज खरीदते हैं, क्योंकि किसानों को बाजार समितियों में सरकारी प्याज खरीद दर से अधिक कीमत मिल रही है. नफेड किसानों के लिए नहीं बल्कि कंज्यूमर के लाभ के लिए काम कर रहा है, इसलिए किसान उसे सबक सिखाएं. अगर ये दोनों सहकारी एजेंसियां किसानों को कम से कम 3500 रुपये क्विंटल का भाव दें तब उन्हें प्याज बेचने के लिए सोचें.
संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने कहा कि नेफेड और एनसीसीएफ इसलिए बफर स्टॉक खरीदते हैं ताकि जब दाम बढ़े तो उसे बाजार में उतार कर सस्ता करवाया जा सके. इससे किसानों को नुकसान होता है. लेकिम जब किसान एक-दो रुपये किलो प्याज बेचते हैं तब किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए इन दोनों एजेंसियों के पास कोई योजना नहीं रहती. इसलिए किसान इन्हें प्याज न बेचें. वैसे भी ये दोनों बाजार भाव से कम दाम पर प्याज खरीदना चाहती हैं. इनकी मंशा किसानों को फायदा दिलाना नहीं है. इसलिए राज्य के किसानों में नेफेड के खिलाफ गुस्सा है.
दिघोले ने बताया कि 20 जून 2024 को भी नेफेड और एनसीसीएफ के लिए प्याज की खरीद दर बाजार भाव से कम तय की गई है. यह दोनों एजेंसियां किसान उत्पादक कंपनियों के माध्यम से किसानों से बाजार भाव से कम दाम पर प्याज खरीदने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए इनकी खरीद पूरी नहीं हो रही है. अहमदनगर में 2357.72 रुपये, बीड में 2357.72 रुपये, नासिक में 2893 रुपये, धुले में 2610.75 रुपये, छत्रपति संभाजीनगर में 2467.10 रुपये, धाराशिव में 2800, सोलापुर में 2987.50 रुपये और पुणे में 2769.80 रुपये प्रति क्विंटल का दाम दे रहे हैं, जबकि एपीएमसी मंडियों में इससे अधिक दाम मिल रहा है.
किसान संगठन का कहना है कि इस वर्ष दिल्ली में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा नेफेड द्वारा प्याज खरीद की साप्ताहिक दरों की घोषणा करने के लिए एक नया निर्णय लिया गया था. लेकिन चूंकि उसकी प्याज की खरीद दरें मंडी समितियों में किसानों को मिलने वाले प्याज के दाम से कम हैं इसलिए किसानों में केंद्र सरकार के प्रति भी काफी असंतोष पैदा हो गया है. आखिर कोई सरकार या उसकी एजेंसी बाजार भाव से कम दाम पर कैसे खरीदने के लिए सोच सकती है. इस साल दोनों एजेंसियों को पांच लाख टन के प्याज का बफर स्टॉक बनाने के लिए कहा गया है.
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