Punjab News: केंद्र और राज्य सरकार की अनदेखी का शिकार हुए बॉर्डर के किसान, मुआवजे के इंतजार में थकी आंखें 

Punjab News: केंद्र और राज्य सरकार की अनदेखी का शिकार हुए बॉर्डर के किसान, मुआवजे के इंतजार में थकी आंखें 

पंजाब में पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब बसे किसान जो प्रतिबंधित जोन और जीरो लाइन के बीच में हैं, उन्‍हें आज तक मुआवजे का इंतजार है. पंजाब के फिरोजपुर के किसानों को हर साल 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का वादा किया गया था. इन किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये मुआवजा देने का वादा किया था लेकिन पिछले दो सालों से किसान अपने इस मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. 

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 28, 2024,
  • Updated May 28, 2024, 5:09 PM IST

पंजाब में एक तरफ किसान आंदोलन जारी है और दूसरी ओर आखिरी दौर के मतदान की तैयारी हो रही है. चुनाव के दौर में हर राजनीतिक पार्टी यहां पर लोगों से कई लुभाने वाले वादे कर रही है लेकिन असलियत कुछ और है. यहां पर पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब बसे किसान जो प्रतिबंधित जोन और जीरो लाइन के बीच में हैं, उन्‍हें आज तक मुआवजे का इंतजार है. पंजाब के फिरोजपुर के किसानों को हर साल 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का वादा किया गया था. इन किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये मुआवजा देने का वादा किया था लेकिन पिछले दो सालों से किसान अपने इस मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. 

साल 2022 के बाद नहीं मिला मुआवजा 

अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार राज्‍य और केंद्र सरकार को मुआवजे की लागत उठाने वाले थे. लेकिन केंद्र सरकार यह पैसा अगले साल के लिए तभी जारी करती है, जब उसे पहले जारी की गई राशि के लिए राज्य से उपयोग प्रमाणपत्र मिल जाता है. फिरोजपुर जिले के राजामोहतम के एक ग्रामीण सुखजिंदर सिंह, जिनका परिवार खतरनाक जोन में 2 एकड़ से ज्‍यादा जमीन पर खेती करता है, उन्हें साल 2022 और 2023 के लिए अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि उनके जैसे कई लोग आस-पास के गांवों में भी हैं. उन्‍हें आखिरी बार यह मुआवजा साल 2022 में मिला था और वह भी चार साल बाद मिला था. इसके लिए भी कई विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था. 

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सिर्फ कुछ ही फसलों का विकल्‍प 

उनके परिवार ने कुछ हफ्ते पहले प्रतिबंधित जोन में गेहूं की कटाई की थी जबकि इस तरफ वह मिर्च की खेती करते हैं. भारत की तरफ 11 फीट चौड़ी गांव का जोन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का पेट्रोलिंग जोन है. यहां पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित क्षेत्र में फसलें चार फीट से ज्‍यादा ऊपर नहीं हो सकती हैं. ममदोट ब्लॉक के सीमावर्ती गांव हजारा सिंह वाला में, पूर्व पंचायत सचिव संदीप कुमार ने बताया कि यही वजह है कि वो किसान गन्‍ने की खेती नहीं कर सकते हैं और उनके पास गेहूं, धान और मिर्च की खेती करने का ही विकल्‍प ही बचता है.  

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मुआवजा मिलने का दावा! 

राज्य और केंद्र सरकार दशकों से भूमि अधिग्रहण के अनुरोध पर बैठी हुई हैं. फाजिल्का और फिरोजपुर सीमा क्षेत्र संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष रमेश वढेरा बताते हैं कि फिरोजपुर में जीरो लाइन के साथ वाली जमीन की कीमत 10 से 12 लाख रुपये प्रति एकड़ है, लेकिन दो साल से इस पर खेती करने का कोई मुआवजा नहीं मिला है. फिरोजपुर के डिप्‍टी कमिश्नर कार्यालय के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि संबंधित तहसीलदारों को कई किसानों को साल 2022 के लिए असुविधा मुआवजा जारी कर दिया है. गुरु हरसहाय तहसील के कई किसानों को यह मिल चुका है और फिरोजपुर में यह प्रक्रिया पूरी होने वाली है. इस जिले में कंटीली तार की बाड़ से आगे 3,000 एकड़ जमीन है और ऑफिस को अभी तक 2023 के लिए मुआवजा राशि नहीं मिली है.

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