इस बार देशवासियों के लिए खाद्य तेल की कमी नहीं होने वाली है, क्योंकि केंद्र ने 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 447 लाख टन तिलहन उत्पादन का टारगेट तय किया है. राज्यों को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन समेत अन्य तेलों के उत्पादन का टारगेट दिया गया है. प्रमुख उत्पादक राज्यों को सोयाबीन उत्पादन क्षमता से अधिक करने के लिए प्रेरित किया गया है.
देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियों के बीच सरकार ने 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए तिलहन उत्पादन का रिकॉर्ड 447.5 लाख टन लक्ष्य तय किया है. शीर्ष उत्पादक राज्यों पर अधिक फोकस किया गया है, जबकि कम तिलहन उत्पादन वाले राज्यों में एरिया बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. प्रमुख तीन तेलों - सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के लिए राज्यों को मिले टारगेट से पता चलता है कि शीर्ष उत्पादकों को यह क्षमता से अधिक उत्पादन करना होगा.
कृषि मंत्रालय के 2024-25 के दौरान तिलहन उत्पादन के टारगेट के अनुसार अनुमानित 106.45 लाख टन मूंगफली (खरीफ सीजन से 90.45 लाख टन सहित), 158 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होने का अनुमान है. जबकि, सरसों के उत्पादन का अनुमान 138 लाख टन है. इसी तरह 25.30 लाख टन अरंडी, 11.70 लाख टन तिल और 4.51 लाख टन सूरजमुखी का उत्पादन हो सकता है.
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के लिए 67 लाख टन, महाराष्ट्र के लिए 65 लाख टन और राजस्थान के लिए 12 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का टारगेट तय किया है. 2023-24 में सूखे के कारण सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ था और मध्य प्रदेश में 57.89 लाख टन से घटकर 51.29 लाख उत्पादन हुआ था. इसी तरह महाराष्ट्र में 66.16 लाख टन से घटकर 52.69 लाख टन उत्पादन रह गया था.
सरसों के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान को अगले वर्ष के लिए टारगेट 58.44 लाख टन से बढ़कर 63 लाख टन किया गया है. जबकि, मध्य प्रदेश के लिए 19 लाख टन सरसों के उत्पादन का टारगेट मिला है. इसी तरह उत्तर प्रदेश के लिए 17.5 लाख टन के मुकाबले कम 16.4 लाख टन टारगेट तय किया गया है. जबकि, मूंगफली के शीर्ष उत्पादक राज्य गुजरात के लिए 43 लाख टन उत्पादन का टारगेट मिला है. इसके बाद राजस्थान के लिए 16 लाख टन और तमिलनाडु के लिए 9.6 लाख टन का टारगेट है.
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