खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी आई है. 13 जून तक देश में खरीफ फसलों की कुल बुवाई का क्षेत्र 8.93 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 148,000 हेक्टेयर ज्यादा है. कृषि मंत्रालय की तरफ से ताजा आंकड़ों के अनुसार, खेती के क्षेत्र में इजाफा मुख्य तौर पर चावल, दलहन और तिलहन के ज्यादा रकबे के कारण हुआ है. खरीफ की सबसे महत्वपूर्ण फसल धान की बुवाई 453,000 हेक्टेयर में हुई है. यह 13 फीसदी से ज्यादा है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की तरफ से पूर्वानुमानित सामान्य से ज्यादा मॉनसून की उम्मीदों के चलते दलहन और तिलहन के रकबे में 18 फीसदी 36.6 फीसदी की वृद्धि हुई. दालों में मूंग और उड़द की खेती का रकबा बढ़ा है जबकि अरहर की खेती में कमी आई है. इस बीच, तिलहन के अधिक रकबे और उत्पादन से खाद्य तेल के आयात पर देश की निर्भरता कम होने की उम्मीद है. वर्तमान में, देश में खाद्य तेल की सालाना खपत का करीब 60 प्रतिशत यानी करीब 26 मिलियन टन, पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेलों के आयात से पूरा किया जाता है.
खरीफ सीजन को मॉनसून सीजन के तौर पर भी जाना जाता है. यह आमतौर पर मई के आखिरी हफ्ते से सितंबर तक चलता है. खरीफ की फसलें भारत के कुल फसल उत्पादन का करीब 60 फीसदी हिस्सा हैं. सभी फसलें जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, अरहर और कपास, मॉनसून की बारिश पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. हालांकि खरीफ सीजन अभी शुरू ही हुआ है, लेकिन रकबे में हुई वृद्धि से साफ पता चलता है कि किसान मॉनसून की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं. साथ ही साथ खाद्य महंगाई दर में उछाल की आशंका भी दूर हो गई है.
केंद्र ने हाल ही में एक बड़े आउटरीच कैंपेन, 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का समापन किया है. यह कैंपेन 29 मई से 12 जून तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चला. इसका उद्देश्य खरीफ बुवाई के मौसम के लिए किसानों को इनफॉर्मेशन, टूल्स और टेक्नोलॉजी से लैस करना था. लंबी अवधि की औसत बारिश के 105 फीसदी के आईएमडी पूर्वानुमान पर भरोसा करते हुए,
सरकार ने 2025-26 के लिए 354.64 मीट्रिक टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया है. यह 2024-25 में 341.55 मीट्रिक टन से 3.8 फीसदी ज्यादा है. धान का उत्पादन 136.30 मीट्रिक टन से बढ़कर 147.35 मीट्रिक टन होने का अनुमान है. जबकि गेहूं का उत्पादन 115 मीट्रिक टन से बढ़कर 117.40 मीट्रिक टन होने का अनुमान है. इसी तरह से मक्का का उत्पादन 40 मीट्रिक टन से बढ़कर 42.68 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है.
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