हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 3.02 लाख एकड़ में धान की सीधी बुवाई करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, पिछले साल 2.25 लाख में डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया था. खास बात यह है कि पिछले साल की तरह इस बार भी विभाग डीएसआर तकनीक अपनाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि देगा, जिसके लिए विभाग ने 120.80 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. इसके लिए इच्छुक किसानों को विभाग के मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा. पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 जुलाई है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सिरसा जिले को सबसे अधिक 85,000 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है. यानी इस जिले के किसान सबसे अधिक रकबे में धान की सीधी बुवाई करेंगे. इसके बाद करनाल में 30,000 एकड़, फतेहाबाद और हिसार में 25,000 एकड़ और कुरुक्षेत्र में 22,000 एकड़ में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई होगी. इसी तरह जींद और सोनीपत को 20,000-20,000 एकड़, कैथल को 18,000 एकड़, जबकि पानीपत, रोहतक और यमुनानगर को 15,000-15,000 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है. अंबाला जिले को इस योजना के तहत 12,000 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है.
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इस योजना के माध्यम से कृषि विभाग धान की रोपाई करने वाले किसानों को पारंपरिक तरीकों से डीएसआर तकनीक की ओर स्थानांतरित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. घटते जल स्तर को देखते हुए डीएसआर विधि को बेहतर तकनीक माना जा रहा है. हालांकि, इस साल लक्ष्य में देरी हुई है, क्योंकि आमतौर पर अप्रैल महीने में लक्ष्य दिए जाते हैं. अब किसानों ने 15 जून से धान की रोपाई शुरू कर दी है. डीएसआर पद्धति में खरपतवार की अधिकता और कम उपज किसानों और कृषि विभाग के लिए कुछ चिंता का विषय रही है, जिसके कारण किसान डीएसआर तकनीक को अपनाने में अनिच्छा दिखा रहे हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कुरुक्षेत्र के उपमंडल अधिकारी जितेंद्र मेहता ने कहा कि डीएसआर तकनीक धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि कई किसान योजना और प्रोत्साहन के बारे में विभाग से संपर्क कर रहे हैं. किसानों को पारंपरिक तरीकों से डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और उन्हें खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से खरपतवारों को प्रबंधित करने के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है.
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उप निदेशक कृषि (डीडीए) अंबाला डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि खरीफ सीजन के लिए लक्ष्य प्राप्त हो गए हैं. नियमित किसान, जिन्होंने वर्षों से इस तकनीक को अपनाया है, उन्होंने पहले ही डीएसआर के माध्यम से बुवाई शुरू कर दी है. अंबाला में हमारा लक्ष्य 12,000 एकड़ है और हमें चार ब्लॉक (अंबाला-I, अंबाला-II, साहा और बरारा) से रिपोर्ट मिल गई है, जहां किसानों ने 6,000 एकड़ से अधिक जमीन को कवर कर लिया है. जल्द ही विभाग किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए शिविर लगाना शुरू करेगा और उन खेतों का दौरा भी आयोजित करेगा जहां डीएसआर पद्धति से बुआई की गई है. लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.