अगले महीने से पूरे देश में आलू की बुवाई शुरू हो जाएगी. इसके लिए कई किसानों ने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है. वहीं, कई किसान आलू के किस्मों को लेकर अजमंजस में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि बंपर पैदावार के लिए आलू की किन किस्मों की बुवाई की जाए. लेकिन इन किसानों को अब आलू की किस्मों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) शिमला ने हाल ही में आलू की तीन ऐसी किस्में विकसित की है, जिसकी खेती करने पर बंपर पैदावार मिलेगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएआर का कहना है कि ये तीनों आलू की किस्में बहुत ही उपज देनी वाली हैं. इनकी खेती करने पर किसानों की इनकम बढ़ जाएगी. खास बात यह है कि ये तीनों किस्मों को अलग-अलग राज्यों की जलवायु को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. वहीं, इन तीनों किस्मों का रंग भी अलग-अलग है. साथ ही इनके साइज में भी अंतर हैं. तो आइए जानते हैं इन तीन किस्मों की खासियत के बारे में.
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कुफरी भास्कर: कुफरी भास्कर बहुत ही कम समय में तैयार होने वाली आलू की किस्म है. इसका रंग सफेद क्रीम होता है, जबकि इसका आकार अंडे की तरह है. इस किस्म की बुवाई करने के बाद तीन महीने यानी 90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है. अगर पैदावार की बात करें तो कुफरी भास्कर की उपज क्षमता 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि अधिक तापमान को भी यह किस्म आसानी से सह लेती है. यानी इसके ऊपर गर्मी का कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही कुफरी भास्कर माइट और हॉपर बर्न के खिलाफ लड़ सकती है. अगर आप चाहें, तो इसे लंबे समय तक स्टोर कर सकते हैं.
कुफरी चिप्सोना-5: इस किस्म को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मौसम को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. यानी इन राज्यों के किसान अगर कुफरी चिप्सोना-5 की खेती करते हैं, तो उन्हें बंपर उपज मिलेगी. यह आलू सफेद क्रीम कलर का होता है. इसका आकार भी अंडाकार ही है. इसका उपयोग चिप्स बनाने में आप कर सकते हैं. खास बात यह है कि इसकी बुवाई करने के बाद 90 से 100 दिन में फसल तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी उपज क्षमता 35 टन प्रति हेक्टेयर है. यह पछेती तुषार रोग के खिलाफ लड़ सकती है. वहीं, इसको आप लंबे समय तक स्टोर कर के रख सकते हैं.
कुफरी जमुनिया: यह आलू की बहुत ही बेहतरीन किस्म है. अगर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार के किसान इसकी खेती करते हैं, तो उन्हें अच्छी पैदावार मिलेगी. यह किस्म बुवाई करने के 90 से 100 दिनों के बीच तैयार हो जाती है. अगर आकार की बात करें, तो अंडे यह की तरह होता है, जबकि इसका कलर जामुन की तरह है. अगर आप एक हेक्टेयर में इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो आपको 32-35 टन उपज मिल सकती है. इसकी सब्जी बहुत ही टेस्टी बनती है. वहीं, इसको लंबे समय तक भंडारण करना भी आसान है. ऐसे भी इसकी मार्केट में ज्यादा किमत मिल सकती है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं.
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