जून के महीने में करें इन फसलों की खेती, कृषि विभाग ने कि‍सानों के ल‍िए जारी की एडवाइजरी

जून के महीने में करें इन फसलों की खेती, कृषि विभाग ने कि‍सानों के ल‍िए जारी की एडवाइजरी

बिहार के कृषि विभाग ने राज्य के किसानों के लिए एक सुझाव दिया है कि किसान जून के महीने में किन फसलों की खेती करें, जिससे किसानों को अच्छा लाभ भी मिल सके. विभाग ने बताया कि बिहार के किसान जून के महीने में मूंगफली, तिल, अंडी और पटुआ की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

जून के महीने में करें इन फसलों की खेतीजून के महीने में करें इन फसलों की खेती
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jun 14, 2023,
  • Updated Jun 14, 2023, 5:25 PM IST

भारत की ज्यादातर ग्रामीण आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है. वहीं देश के किसान अभी भी पारंपरिक फसलों की खेती काफी अधिक मात्रा में करते हैं, जिसकी वजह से उनको अपनी फसलों की इतनी आमदनी नहीं मिलती, जिससे वो एक अच्छी जिंदगी जी सकें. ऐसे में कुछ किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर उन फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनकी बाजारों में अधिक मांग रहती है. इसी को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने राज्य के किसानों के लिए एक क्राॅप एडवाइजरी जारी की है, ज‍िसके क‍िसान जून के महीने में कौन सी फसलें लगा सकते हैं, ज‍िसकी जानकारी एडवाइजरी में जारी की गई है. 

जानें कौन सी फसलों की कर सकते हैं खेती  

ब‍िहार सरकार के कृष‍ि व‍िभाग ने क‍िसानों के ल‍िए एडवाइजरी जारी की है. ज‍िसमें ब‍िहार की भौगौ‍ल‍िक व‍िशेषताओं के अनुरूप जून के महीने होने वाली फसलों की जानकारी दी गई है. विभाग ने बताया कि बिहार के किसान जून के महीने में मूंगफली, तिल, अरंडी और पटुआ की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. आइए जानते हैं इन सभी फसलों की कैसे करें खेती.

कैसे करें मूंगफली की खेती

मूंगफली भारत की मुख्य तिलहनी फसल है. यह गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाई जाती है. मूंगफली की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली, भुरभुरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. वहीं इसकी खेती के लिए खेत तैयार करने में मिट्टी पलटने वाले हल और बाद में कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए. वहीं मूंगफली की बुवाई लगभग मानसून शुरू होने पर की जाती है और बिहार के कुछ इलाकों में मानसून ने दस्तक भी दे दिया है. इसकी बुवाई सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य करना बेहतर होता है. वहीं बाजार में मूंगफली की मांग हमेशा बनी रहती है जिसे लोग खूब खाना पसंद करते हैं.

जानें कैसे करें तिल की खेती

तिलहन फसलों में तिल का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. तिल का उत्पादन साल में तीन बार किया जा सकता है. तिल किसानों के लिए नकदी फसल है जिसकी बाजार मांग हर समय बनी रहती है. सर्दियों में तो इसकी मांग सबसे अधिक रहती है. क्योंकि तिल से कई प्रकार के मिठाई, जैसे गजक और लड्डू बनाया जाता है. इसके अलावा तिल से तेल निकाला जाता है, जिसकी बाजार मांग सबसे अधिक है. वहीं तिल की खेती अनुपजाऊ भूमि में भी की जा सकती है. तिल की खेती अगर सही ढंग से की जाए तो कम समय में अधिक मुनाफा संभव है. तिल की खेती के लिए हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी सही रहती है और अच्छा उत्पादन मिलता है. वहीं  तिल की बुवाई कतारों में करनी चाहिए, जिससे खेत में खरपतवार और दूसरे कामों में आसानी रहे.

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अरंडी की खेती करने का तरीका

अरंडी एक व्यावसायिक फसल है. इसकी खेती के लिए ज्यादा संसाधनों की जरूरत नहीं पड़ती है. इसे किसी भी तरह की मिट्टी या किसी भी तरह की जलवायु में लगाया जा सकता है. पीएच 6 मान की भूमि इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. बता दें कि इसके बीजों का इस्तेमाल तेल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इससे कपड़े की डाई और साबुन, औषधीय तेल और बच्चों को मालिश करने वाले तेलों के प्रोडक्ट को तैयार करने में उपयोग किया जाता है. वहीं इसकी खेती से किसानों को अधिक लाभ होता है.  

जानें पटुआ यानी जूट की खेती कैसे करें

जूट या पटसन एक नकदी फसल है. जूट को पटसन या पटुआ भी कहते हैं. ये एक रेशेदार उपज होता है. जूट की खेती के लिए हल्की बलुई और दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.अधिक जल भराव वाली जमीन में इसकी खेती करना उचित नहीं होता. क्योंकि अधिक टाइम तक पानी के भरे रहने से पौधे के नष्ट होने और गुणवत्ता में कमी आने का जोखिम होता है. जूट की खेती के लिए भूमि को अच्छे से तैयार करना जरूरी होता है. क्योंकि भूमि जितनी अच्छे से तैयार होगी, इसकी पैदावार उतनी ही अच्छी होती है. वहीं इसकी खेती करने से किसानों को अधिक मुनाफा भी होता है. 

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