पिछले साल के मुकाबले खराब दाम मिलने से परेशान महाराष्ट्र के कुछ किसानों ने इस बार कॉटन की खेती कम कर दी है. लेकिन, जिन किसानों ने खेती की है उन्हें एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यह समस्या बाजार में नहीं बल्कि खेतों में आ रही है, जहां लेट ब्लाइट और बॉलवर्म जैसी बीमारियों के कारण खेती प्रभावित हो रही है. विदर्भ, मराठवाड़ा और खानदेश में हर साल लगभग साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में कपास की खेती होती है. सिंचाई क्षमता के आधार पर, किसान आमतौर पर मई के अंत या जून के पहले सप्ताह में इस कपास की बुवाई करते हैं. इस साल भी कई किसानों ने कपास की बुवाई की है. लेकिन बीमारियों के कारण कपास की वृद्धि रुक गई है. इसके चलते अब किसान चिंतित हैं क्योंकि कपास का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है.
अकेले बुलढाणा जिले में यह बात सामने आई है कि सात तालुकाओं के 49 गांवों में 714 हेक्टेयर भूमि पर कपास की वृद्धि रुक गई है. ऐसे में अब किसान को कृषि विभाग से एक एडवाइजरी की उम्मीद है, ताकि इस समस्या का समाधान निकले. शुरुआती सीज़न की कपास की फसल कई जगहों पर लेट ब्लाइट जैसी बीमारी से प्रभावित हुई है और कुछ जगहों पर जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा के कारण कपास की वृद्धि रुक गई है. जिससे किसान हतोत्साहित हैं. इसलिए यह जानकारी मिली है कि केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान की एक टीम इस क्षेत्र में निरीक्षण के लिए आएगी.
दूसरी ओर, कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण किसान चिंतित हैं. अगर दाम और गिरे तो किसानों को बड़ा नुकसान होगा. पिछले साल कॉटन का दाम 12 से 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. लेकिन इस साल 6 से 7 हजार के बीच दाम चल रहा है. किसानों ने अच्छे दाम की उम्मीद में कपास को स्टोर करके अपने घर पर रखा लेकिन दाम कम होता गया और किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरता गया. बहुत सारे किसानों के घर में अब भी कपास रखा हुआ है. लेकिन बाजार के रुख से कपास किसानों को अब आर्थिक नुकसान हो रहा है.
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बारिश की वजह से अब बाजार बंद है. इस बीच किसान असमंजस में हैं कि कपास कैसे और किस कीमत पर बेचें. कपास की कीमत नहीं मिलने से इसका असर कपड़ा उद्योग पर भी पड़ सकता है. मिलों में कपास का स्टॉक भी कम है. इसलिए कपास बाजार में अनिश्चितता है. इस बीच नई फसल पर बढ़ते रोगों के अटैक ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है. जिससे कपास का उत्पादन कम होने की संभावना है. ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में बड़ा नुकसान होगा. फिलहाल, किसानों को उम्मीद कि प्रभावित क्षेत्रों में विशेषज्ञों की टीम जल्द दौरा करेगी और किसानों की समस्या का कोई न कोई हल जरूरत बताएगी.