कपास की कीमतें एमएसपी से कम होन से तेलंगाना के कपास की खेती करने वाले किसान चिंतित हैं. कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने कहा है कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों कपास में नमी बहुत ज्यादा है. अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में भी बाढ़ और भारी बारिश के कारण किसानों के पास कपास की गांठें (Cotton Bolls) गीली हैं. कहीं-कहीं तो कटाई कर रखी कपास में भी नमी बढ़ गई है या पानी लग गया है, जिससे उपज प्रभावित हो गई है. वारंगल जिले के एक किसान ने कहा कि नमी की बात कहकर कपास की कम कीमत दी जा रही है.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, सीसीआई के अध्यक्ष और एमडी ललित कुमार गुप्ता ने कहा, " 8-12 प्रतिशत नमी वाली कपास ही खरीदी के योग्य होती है. उनके लिए इससे ज्यादा नमी वाली कपास खरीद पाना मुश्किल है. कुछ मामलों में नमी की मात्रा 20-25 प्रतिशत तक है. किसानों को अपनी उपज खरीद केंद्रों ले जाने से पहले सुखा लेना चाहिए.''
वहीं, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि सीसीआई 18 प्रतिशत तक नमी वाली कपास खरीदेगी तो दिवाली के समय यह किसानों के लिए मददगार साबित हो सकती है. इसके लिए उनकी एसोसिएशन ने कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखा है.
गणात्रा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में लगातार बारिश के कारण किसानों की चुनी गई फसल भी नमी से प्रभावित हो गई है. वे अपने घर में कपास स्टोर नहीं कर सकते. किसानों को 3,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से कपास बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यह एमएसपी से काफी कम है.
सरकार ने 2024-25 के कपास सत्र के लिए मीडियम स्टेपल कपास के लिए 7,121 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे स्टेपल कपास के लिए 7,521 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी निर्धारित किया है. नमी की मात्रा के अनुसार कपास की कीमत में अंतर आता है.
विपक्ष में बैठी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने सरकार पर कपास किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है. के टी रामा राव ने कहा कि सरकार ने कपास किसानों से 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने का वादा किया था, लेकिन अब उन्हें कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ रही है. बता दें कि त्योहारी सीजन के चलते अभी मंडी में कपास की आवक कम हो रही है. सीसीआई के मुताबिक, अगले हफ्ते से आवाक में तेजी देखने को मिल सकती है.