फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन यानी कि FPO के लिए केंद्रीय मदद फिलहाल जारी रहेगी. इसे बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय मदद दी जाती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार की यह योजना अगले 4-5 साल के लिए और बढ़ाई जा सकती है. अभी तक एफपीओ स्कीम की मियाद साल 2025 रखी गई थी. लेकिन आगे भी इसे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.
देश में अभी तक 9200 एफपीओ बनाए गए हैं. केंद्र सरकार की स्कीम के तहत इन एफपीओ को कंपनी या कॉपरेटिव के रूप में बनाया गया है. सरकार ने साल 2025 तक देश में कुल 10,000 एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है जिसमें 9200 एफपीओ बनाए जा चुके हैं. कृषि मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी फैज अहमद किदवई ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, हम इस प्रोग्राम (FPO) को आगे ले जाएंगे और इसे विस्तार देने की तैयारी है.
साल 2020 में केंद्र सरकार ने 'फॉर्मेशन एंड प्रोमोशन ऑफ 10,000 एफपीओ'के नाम से स्कीम लॉन्च किया था जिसके तहत पूरे देश में एफपीओ बनाए जा रहे हैं. सरकार ने इसके लिए 6865 करोड़ रुपये का बजट रखा था. लक्ष्य था कि मार्च 2025 तक 10,000 नए एफपीओ तैयार किए जाएंगे. एफपीओ का लक्ष्य था कि एक ऐसा संगठन बनाया जाए जहां किसान और खरीदार एक साथ एक मंच पर आएं और एक दूसरे के साथ खरीद-बिक्री का बिजनेस करें. यानी किसान को अपनी उपज बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें न खानी पड़े और खरीदार को भी माल लेने के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े. इससे एक तरफ किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखा तो दूसरी ओर खरीदार की सुविधा बढ़ाने पर ध्यान था.
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इसी लक्ष्य के साथ सरकार ने देश में 10,000 एफपीओ बनाने का टारगेट तय किया है. इसमें से 9200 संगठन तैयार हैं जिससे करीब 25 लाख किसान और अन्य व्यक्ति जुड़े हैं. इन एफपीओ का काम देश के 33 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है. बड़ी बात ये है कि इन सभी एफपीओ का कुल टर्नओवर 1300 करोड़ रुपये का है और सरकार ने इसमें 450 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई है.
एफपीओ के बारे में बताते हुए कृषि मंत्रालय के फैज किदवई ने कहा कि अभी यह नाजुक मोड़ पर है. इसलिए जब तक इस प्रोग्राम को अगले 4-5 साल के लिए नहीं बढ़ाया जाता, तब तक इसके बारे में कोई भी ठोस निष्कर्ष दे पाना मुश्किल है. उन्होंने कहा, एफपीओ बनाने के लिए सरकार ने बजट में 30 परसेंट का इजाफा किया है और पहले जहां यह 450 करोड़ रुपये का था, उसे बढ़ाकर 581 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
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कृषि मंत्रालय के तहत ही इनपुट लाइसेंसिंग स्कीम है जिसमें किसानों के संगठनों को खाद, बीच और कीटनाशकों की सप्लाई के लिए 30,000 लाइसेंस दिए गए हैं. ये लाइसेंस कृषि मंत्रालय की ओर से पिछले दो महीने में दिए गए हैं. एफपीओ के बैंकों से लोन मिलने में भी आसानी हो रही है. अधिक से अधिक किसान इस स्कीम का लाभ ले सकें, इसके लिए सरकार ने बजट को बढ़ाया है, साथ ही इस स्कीम को अगले 4-5 साल तक बढ़ाने की तैयारी है.
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