अरंडी की खेती (Castor Farming) करने वाले किसानों के लिए बेमौसम बारिश ने मुसीबत खड़ी कर दी है. फसल अंकुरण के समय बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया. इससे किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ी. इससे किसानों को खेती में दोहरी लागत लगानी पड़ी है. इसके बावजूद खेत में पौधों की संख्या में कमी और खरपतवार की बढ़ोत्तरी ने किसानों का आर्थिक बोझ बढ़ाया है. इससे रकबे में गिरावट आई है और अब उत्पादन में भी भारी गिरावट का अनुमान जताया गया है. इंडस्ट्री निकाय SEA का अनुमान है कि देश का अरंडी उत्पादन 8 फीसदी घट जाएगा.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने प्रमुख अरंडी उत्पादक राज्यों गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में अरंडी उत्पादन घटने का अनुामन लगाया गया है. एसईए ने कहा कि देश का अरंडी (Castor) का उत्पादन 18.22 लाख टन होने का अनुमान है, जो 2023-24 के अंतिम उत्पादन की तुलना में 8 फीसदी की गिरावट है. यह गिरावट बेमौसम बारिश के चलते फसल बर्बाद होने के नतीजे में देखी जा रही है. यह आंकड़े ग्लोबल कैस्टर कॉन्फ्रेंस 2025 में जारी किए गए.
एसईए ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लगभग 5000 किसानों पर सर्वेक्षण और एग्रीवॉच के तथ्य जुटाए गए हैं, जिसमें यह गिरावट का अनुमान निकलकर सामने आया है. एसईए ने कहा कि देश में अरंडी के शीर्ष उत्पादक राज्य गुजरात में 14.75 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है, जो 6 फीसदी की गिरावट है. इसी तरह राजस्थान में फसल उत्पादन में 9 फीसदी की गिरावट आएगी और यह घटकर 2.85 लाख टन रह जाएगा. इसी तरह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह 33 फीसदी की गिरावट का अनुमान है.
अरंडी की बुआई जुलाई और अगस्त 2024 में पूरी हो गई थी. हालांकि, अगस्त के दूसरे पखवाड़े में अत्यधिक बारिश ने गुजरात के सभी 13 प्रमुख अरंडी उत्पादक जिलों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. इससे फसल को अंकुरण के समय नुकसान पहुंचा है. इसके चलते अगस्त के अंत और सितंबर के पहले सप्ताह के बीच फिर से बुआई की जरूरत पड़ी. जिन क्षेत्रों में किसानों ने दोबारा बुआई नहीं की, वहां फसल की स्थिति खराब बनी हुई है. पौधों की संख्या घट गई है और खरपतवारों बढ़ गए हैं. इससे किसानों की आर्थिक लागत भी बढ़ गई है.
कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि सर्वेक्षण करने के लिए एसईए ने एग्रीवॉच को नियुक्त किया था. इसी तरह अगस्त में भारी बारिश ने राजस्थान के जोधपुर, जालौर, सिरोही और बाड़मेर जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचाया, जहां किसानों को फसल के नुकसान और खराब अंकुरण के चलते दो से तीन बार फसल की बुआई करनी पड़ी. हालांकि, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बारिश समय पर और फायदेमंद दर्ज की गई. लेकिन कम रकबे से उत्पादन में गिरावट आ सकती है.
सरकारी अनुमानों के अनुसार 2024-25 के लिए अरंडी के बीज की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल 8.68 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी कम है. गुजरात में अरंडी का रकबा 11 फीसदी घटकर 6.46 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि राजस्थान में यह 12 फीसदी घटकर 1.7 लाख हेक्टेयर, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना रकबे में 38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.