आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है. यह इंसानों का बहुत पसंदीदा फल माना जाता है और इसमें मिठास के साथ खट्टापन भी मिला हुआ होता है. अलग-अलग किस्मों के अनुसार फलों में कम या ज्यादा मिठास पाई जाती है. कच्चे आम से बनी चटनी अचार का इस्तेमाल कई तरह के पेय पदार्थों में किया जाता है. इससे जेली, जैम, सिरप आदि भी बनाये जाते हैं. आम विटामिन ए और बी का अच्छा स्रोत है. आम के अनोखे स्वाद की वजह से इसे फलों का राजा कहा गया है. आम की बढ़ती मांगों को देखते हुए हर साल इसकी खेती के रकबे में बढ़त देखि जा रही है. वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि मौसम कि वजह से इसमें गिरावट आती है.
कई बार कीटों कि वजह से भी आम की खेती कर रहे किसानों को काफी नुकसान होता है. जिससे बचने के लिए किसान कई उपाय भी करते हैं. ऐसे में अगर आम की फसलों पर गुच्छा रोग लग गया है तो किसान तुरंत ये उपचार कर फसलों को बचा सकते हैं.
यह आम का सबसे खतरनाक रोग है, जिससे 20-25 प्रतिशत नुकसान देखा गया है. इस रोग के लक्षण दो प्रकार से प्रकट होते हैं. प्रभावित फूल या कलियां मोटी, गुच्छेदार हो जाती हैं और ऐसे फूलों पर फल नहीं लगते हैं. यह रोग फूल आने के समय होता है जिसके कारण फूल और पत्तियां मिलकर गुच्छा बन जाते हैं और कलियां पत्तियों में परिवर्तित हो जाती हैं. इसके अलावा पेड़ की शाखाओं पर छोटी-छोटी पत्तियां मिलकर एक गुच्छा बनाती हैं. जिस वजह से इस रोग के कारण पेड़ों पर फल नहीं लग पाता है.
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एक पूर्ण विकसित आम का पौधा 20 वर्षों तक पैदावार देता है. इसलिए खेत में पौधे लगाने से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लें. सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हलों से अच्छी तरह जुताई कर लेनी चाहिए. इसके बाद खेत को कुछ देर के लिए खुला छोड़ देना चाहिए. इससे खेत की मिट्टी तक सूरज की रोशनी ठीक से पहुंचती है. इसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई रोटावेटर से कर लें. इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत में पाटा बिछाकर समतल कर लें, जिससे खेत समतल हो जाएगा और जल भराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.
खेत को समतल करने के बाद पौधों को रोपने के लिए खेत में 5 मीटर की दूरी रखते हुए एक मीटर चौड़े और आधा मीटर गहरे गड्ढे तैयार किये जाते हैं. इसके बाद उचित मात्रा में उर्वरक को मिट्टी में मिलाकर इन गड्ढों में भर देना चाहिए. गड्ढों को मिट्टी से भरने के बाद उनकी सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे पौधों के रोपण के समय तक मिट्टी विघटित होकर कठोर हो जाती है. इन गड्ढों को पौधे लगाने से एक महीने पहले तैयार कर लें. गड्ढों में उचित मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए 25 किलोग्राम पुरानी गोबर की खाद डाली जाती है. इसके अलावा रासायनिक उर्वरक के रूप में 150 जीएम, एन.पी.के. मात्रा को तीन भागों में बांटकर साल में तीन बार देना होगा. इसके अलावा जब पौधा 10 से 12 साल का हो जाता है तो रासायनिक उर्वरक की मात्रा 1 किलोग्राम तक बढ़ा दी जाती है. 1 किलोग्राम की यह मात्रा साल में चार बार दी जाती है. इससे आम के पौधों का विकास अच्छा होगा और फल भी अधिक मात्रा में प्राप्त होंगे.