आम जनता के लिए खुशखबरी है. जल्द ही उन्हें महंगाई से निजात मिलने वाली है. नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के मुताबिक जीरे की कीमत में जल्द ही और गिरावट आ सकती है. इससे किचन का बिगड़ा हुआ बजट पटरी पर आ जाएगा. एनसीडीईएक्स का कहना है कि किसानों ने इस बार अधिक रकबे में जीरे की बुवाई की है. वहीं, गुजरात के ऊंझा में गुरुवार को 39314.20 रुपये प्रति क्विंटल जीरे की बोली लगाई गई.
दरअसल, अगस्त महीने में जीरा अचानक बहुत महंगा हो गया था. इसकी कीमत में आग लग गई थी. थोक मार्केट में जीरे का भाव 65000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया था. ऐसे में लोगों ने जीरा खरीदना ही छोड़ दिया था. लेकिन अब जीरे के रेट में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है. इसके चलते जीरा रिटेल मार्केट में भी सस्ता हुआ है. एनसीडीईएक्स का कहना है कि अगले साल तक इसकी कीमत में और गिरावट आएगी, क्योंकि आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है.
कृषि मंत्रालय की इकाई Agmarknet.in के अनुसार, जीरा का मॉडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) 36,500 रुपये प्रति क्विंटल था. इरोड स्थित अमर अग्रवाल फूड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अंकित अग्रवाल ने कहा कि जीरे की कीमतों में मूल रूप से गिरावट आई है, क्योंकि इसके रकबे में बढ़ोतरी हुई है. उनका कहना है कि इस साल किसानों ने पिछले वर्ष के मुकाबले 60 प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल में जीरे की बुवाई की है.
ये भी पढ़ें- UP Weather: यूपी में आज से तापमान में आएगी तेजी से गिरावट, बरेली सबसे ठंडा शहर, पढ़ें IMD का अपडेट
एग्रीवॉच के वरिष्ठ शोध विश्लेषक बिप्लब सरमा ने कहा कि हाजिर बाजार में कीमतों में ज्यादातर गिरावट आई है, लेकिन एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में मौजूदा कीमतें अभी भी सामान्य से अधिक हैं. एनसीडीईएक्स पर जीरा की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से गिरकर आठ महीने से अधिक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च एनालिस्ट अनु वी पई ने कहा कि निर्यात में गिरावट और रकबा में उछाल से जीरा वायदा पर असर पड़ रहा है.
गुजरात कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 11 दिसंबर तक, जीरे की बुआई 4.34 लाख हेक्टेयर (एलएच) में की गई है, जो एक साल पहले के 2.24 लाख हेक्टेयर की तुलना में 93.5 प्रतिशत अधिक है. सरमा ने कहा कि सामान्य क्षेत्रफल (तीन साल का औसत) 3,50,666 हेक्टेयर है. पई ने कहा कि राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार, 13 दिसंबर तक जीरे की बुआई 6.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 5.62 लाख हेक्टेयर था.
ये भी पढ़ें- एक्सपोर्ट बैन होने के बाद किसान परेशान. खरीफ सीजन के प्याज का नहीं मिल रहा है उचित दाम
अग्रवाल ने कहा कि किसान पहले कई क्षेत्रों में आमतौर पर धनिया उगाते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने जीरा को जगह दी है. सरमा ने कहा कि मौजूदा रुझानों के आधार पर जीरा का रकबा 30 से 35 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, जो संभावित रूप से धनिया जैसी अन्य प्रतिस्पर्धी फसलों की कीमत पर आएगा. उन्होंने कहा कि जीरा की कीमतें 1000 रुपये प्रति क्विंटल और गिर सकती हैं. लेकिन जीरे की कीमत 25,000 रुपये क्विंटल से नीचे नहीं जा सकती है. वहीं, पई ने कहा कि त्योहार और शादी के मौसम की मांग से जीरे की कीमतों में गिरावट सीमित रहेगी.