भारत में धान की खेती को मानसून खेती कहा जाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि धाम कि खेती में पानी कि आवश्यकता अधिक होती है. जिस वजह से धान कि रोपाई का काम करने के लिए किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं. हालांकि अब इसमें कई बदलाव आया है. तकनीकी मदद से अब किसान कभी भी धान कि खेती कर सकते हैं. लेकिन फिर भी कई इलाकों में आज भी किसान धान की खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं. भारत में अधिकतर किसान धान की खेती बरसात के मौसम में करते हैं. कुछ किसान साल में दो बार भी खेती करते हैं. छत्तीसगढ़, केरल और दक्षिण भारत के कुछ अन्य राज्यों में धान की खेती साल भर की जाती है, जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के किसान बरसात के मौसम में धान की खेती करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं जायद धान की सबसे अच्छी किस्में कौन -कौन सी हैं.
अधिक उत्पादन क्षमता और बासमती गुणों वाली इस किस्म के दाने लम्बे और पतले होते हैं. पकने की अवधि 130 से 135 दिन और औसत उपज 55 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
यह किस्म मध्यम ऊंचाई और मध्यम अवधि में पकने वाली बासमती गुणों वाली किस्म है. यह सुगंधित, पतले लंबे दाने वाली किस्म लीफहॉपर और ब्लाइट रोगों के प्रति प्रतिरोधी है. इसका उत्पादन 47 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
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यह बासमती गुणों वाली एक किस्म है, जो मध्यम अवधि (135 से 140) में पकती है. इसका पौधा 97 सेमी. लंबा होता है. यह एक सुगंधित, पतले दाने वाली और उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है. यह ब्लास्ट, ब्लाइट और लीफहॉपर के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है. इसका उत्पादन 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है.
यह सुगंधित धान की उन्नत किस्म है, इसकी औसत उपज 45-50 किलोग्राम प्राप्त होता है. यह किस्म प्रमुख कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधी है. इसका दाना बासमती धान की तरह पतला और लंबा होता है.
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यह सुगंधीत धान की जल्दी पकने वाली उन्नत किस्म है. यह 100-105 दिन में पक जाती है और इसकी औसतन उपज 40-45 क्वि. / हैक्टेयर होती है. यह किस्म मध्यम ऊंचाई के कारण पकने के समय आड़ी नहीं गिरती है. इसका दाना पतला और लम्बा होता है.
यह जल्दी पकने वाली सुगंधित धान की उन्नत किस्म है. यह किस्म जीवाणु अंगमारी रोग के प्रति प्रतिरोधी है. इसकी औसत उपज 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है.