किसानों के लिए फायदे का सौदा है केले की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

किसानों के लिए फायदे का सौदा है केले की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

केले की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो तो पॉली हाउस में टिशू कल्चर पद्धिति से केले की खेती साल भर की जा सकती है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

Banana cultivationBanana cultivation
सर‍िता शर्मा
  • Mumbai,
  • Nov 24, 2023,
  • Updated Nov 24, 2023, 1:42 PM IST

किसान अब  परंपरागत फसलें जैसे- गेहूं और मक्का की खेती छोडक़र नकदी फसलों की खेती की ओर रूख कर रहे हैं. इसमें केले की खेती से किसानों को काफी लाभ हो रहा है. केला एक नकदी फसल है. केला एक ऐसा फल है, जो देश के लगभग हर ह‍िस्से में उगाया और पूरे साल खाया जाता है. बाज़ार में इसकी मांग बनी रहती है,ऐसे में केले की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है. इसकी खेती लगभग पूरे भारत वर्ष में की जाती हैं. गर्मंतर एवं सम जलवायु केला की खेती के लिए उत्तम होती हैं अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केला की खेती सफल रहती हैं जीवांश युक्त दोमट एवम मटियार दोमट भूम, जिससे जल निकास उत्तम हो उपयुक्त मानी जाती है भूमि का पी एच मान 6-7.5 तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त होता हैं. 

 केले की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है. यदि केले की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.

कैसी होनी चाहिए भूमि 

केले की खेती  के लिए मिट्टी का चयन बहुत जरूरी है. इसके लिए पोषक तत्वों से युक्त भूमि का चयन किया जाना चाहिए.भूमि की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए ताकि भूमि में जिन पोषक तत्वों की कमी है उसे पूरा किया जा सके जिससे केले का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकें. अब बात करें इसकी खेती के लिए उपयुक्त भूमि की तो इसकी खेती के लिए चिकनी बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसके लिए भूमि का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए. ज्यादा अम्लीय या क्षारीय मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है. वहीं खेत में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए. यदि ऐसा है तो खेत में पानी निकासी की व्यवस्था जरूरी होनी चाहिए. वहीं खेत का चुनाव करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि हवा का आवागमन बेहतर हो.

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 उत्तम किस्में 

केले की खेती के लिए कई उन्नत किस्में मौजूद हैं. इसमें सिंघापुरी के रोबेस्टा नस्ल के केले को खेती के लिए बेहतर माना जाता है. इससे केले की अधिक पैदावार मिलती है. इसके अलावा केले की बसराई, ड्वार्फ, हरी छाल, सालभोग,अल्पान तथा पुवन इत्यादि प्रजातियां भी अच्छी मानी जाती हैं. 

 कैसे करें खेत की तैयारी

केला रोपने से पहले ढेंचा, लोबिया जैसी हरी खाद की फसल उगाई जानी चाहिए एवं उसे जमीन में गाड़ देना चाहिए. ये मिट्टी के लिए खाद का काम करती है. अब केले की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए जमीन को 2-4 बार जोतकर समतल कर लेना चाहिए. मिट्टी के ठेलों को तोडऩे के लिए रोटावेटर या हैरो का उपयोग करें तथा मिट्टी को उचित ढलाव दें. मिट्टी तैयार करते समय एफ.वाईएम की आधार खुराक डालकर अच्छी तरह से मिला दी जानी चाहिए.

 खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यानी जून के महीने में खोदे गए गड्ढों में 8.15 किलोग्राम नाडेप कम्पोस्ट खाद, 150-200 ग्राम नीम की खली, 250-300 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट 200 ग्राम नाइट्रोजन 200 ग्राम पोटाश डाल कर मिट्टी भर दें और समय पर पहले से खोदे गए गड्ढों में केले की पौध लगा देनी चाहिए। इसके लिए हमेशा सेहतमंद पौधों का चुनाव करना चाहिए.

केले की पौध की रोपाई का समय

ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो तो पॉली हाउस में टिशू कल्चर पद्धिति से केले की खेती साल भर की जा सकती है. महाराष्ट्र में इसकी खेती के लिए मृग बाग खरीफ) रोपाई के महीने जून- जुलाई, बहार रबी सीजन में रोपाई के महीना अक्टूबर- नवम्बर महीना महत्वपूर्ण माना जाता है.

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