मौसम के बदलते मिजाज के बीच गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद...बस, इन किस्मों की होगी `अग्निपरीक्षा`

मौसम के बदलते मिजाज के बीच गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद...बस, इन किस्मों की होगी `अग्निपरीक्षा`

IIWBR करनाल के पूर्व निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार, 20 नवंबर से पहले बोई गई गेहूं की फसल परिपक्व होने में लगभग 50 दिन का समय लेगी. वर्तमान में जो किस्में बोई जा रही हैं, वे दिन में 35 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती हैं. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे हल्की सिंचाई करते रहें, ताकि फसल सूखने न पाए और पर्याप्त नमी बनी रहे.

Wheat CropWheat Crop
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 18, 2025,
  • Updated Feb 18, 2025, 1:23 PM IST

उत्तर भारत के गेहूं उत्पादक किसानों के लिए इस रबी मौसम में तापमान में अचानक बदलाव एक चिंता का विषय बन गया है. विशेषकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों को इस बढ़ते तापमान के कारण गेहूं की फसल में कमी का डर है. हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान अधिकतम और न्यूनतम तापमान गेहूं की फसल की सहनशीलता सीमा के अंदर है, लेकिन अगर भविष्य में तापमान और बढ़ता है, तो पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में देखी गई स्थिति के आधार पर गेहूं की पैदावार में गिरावट हो सकती है. तापमान बढ़ने से गेहूं के दाने सिकुड़ सकते हैं. विशेषकर जब दाने भरने की प्रक्रिया के समय अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो.

उत्तर-पश्चिम भारत में गेहूं की फसल विभिन्न विकास के अवस्था पर है,  जो इस बात पर निर्भर करता है कि फसल कब बोई गई थी. जिन फसलों को समय से बोया गया है, वे तापमान बढ़ने पर अधिक सहनशील होती हैं, लेकिन 20 नवंबर के बाद बोई गई फसलों को अधिक नुकसान हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, किसान वर्तमान में जिन किस्मों का उपयोग कर रहे हैं, वे जलवायु-प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति अधिक सहनशील हैं. जब तक रात का तापमान ठंडा रहता है और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के भीतर होता है, तब तक गेहूं की फसल सुरक्षित रहती है. 

सरकार का भी कहना है कि इस बार क्लामेट स्मार्ट यानी हीट-टॉलरेंट वैरायटी की बुआई अधिक हुई है जिन पर बढ़ते तापमान का असर नहीं देखा जाएगा. ये किस्में ऐसी हैं जो तापमान को आसानी से झेल जाएंगी और उत्पादन भी बढ़िया देंगी. 

भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) करनाल के पूर्व निदेशक, ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया है  कि मध्य प्रदेश के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों का दौरा किया और खड़ी फसल की स्थिति को लेकर संतोष जाहिर किया है.

इस बीच, ऑस्ट्रेलिया ने अपने गेहूं उत्पादकों को जानकारी दी है कि भारत में गेहूं निर्यात में वृद्धि हो सकती है,  और भारत सरकार इस साल के अंत तक आयात शुल्क को घटा सकती है, जिससे भारतीय किसानों को लाभ हो सकता है.

किसानों के लिए सलाह

ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार, 20 नवंबर से पहले बोई गई गेहूं की फसल परिपक्व होने में लगभग 50 दिन का समय लेगी.  वर्तमान में जो किस्में बोई जा रही हैं, वे दिन में 35 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती हैं.  उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे हल्की सिंचाई करते रहें, ताकि फसल सूखने न पाए और पर्याप्त नमी बनी रहे. 

मौसम विभाग के अनुसार, 17 फरवरी को पंजाब में न्यूनतम तापमान 6.8-11.9 डिग्री सेल्सियस, हरियाणा में 8.4-13.8 डिग्री सेल्सियस, उत्तर प्रदेश में 6.9-16.1 डिग्री सेल्सियस, मध्य प्रदेश में 11-17.1 डिग्री सेल्सियस और राजस्थान में 8.5-18.6 डिग्री सेल्सियस था. अधिकतम तापमान की बात करें तो पंजाब में यह 21-27.9 डिग्री सेल्सियस, हरियाणा में 24.9-29.9 डिग्री सेल्सियस, उत्तर प्रदेश में 25.6-35.5 डिग्री सेल्सियस, मध्य प्रदेश में 26.9-35.5 डिग्री सेल्सियस और राजस्थान में 24.4-34.7 डिग्री सेल्सियस था.

IMD का पूर्वानुमान

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगले 3-4 दिनों में उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में न्यूनतम तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस, राजस्थान में 1-3 डिग्री सेल्सियस और पूर्वी भारत में 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की संभावना है. इसके परिणामस्वरूप किसानों को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है.

किसानों के लिए सुझाव

ज्ञानेंद्र सिंह ने सुझाव दिया है कि किसानों को मौसम के बदलाव के साथ-साथ तापमान में वृद्धि के प्रभावों से बचने के लिए उचित कदम उठाने होंगे.  इस बढ़ते तापमान में पत्तियों की हानि और दाने सिकुड़ने का खतरा अधिक होता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. किसानों को हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है ताकि खेतों में नमी बनी रहे और फसल सूखने से बच सके. तापमान में वृद्धि के कारण फसल की वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए सही समय पर सिंचाई करना बेहद अहम है.

गेहूं की खेती का रकबा बढ़ा

इस वर्ष के रबी मौसम में गेहूं की बुआई के आंकड़े काफी अच्छे हैं. 4 फरवरी तक 324.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया गया है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है (318.33 लाख हेक्टेयर). सरकार ने इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 115 मिलियन टन (एमटी) निर्धारित किया है, जो पिछले साल के 113.29 मिलियन टन से अधिक है. कुल मिलाकर, इस साल गेहूं के उत्पादन के अच्छे संकेत मिल रहे हैं, लेकिन तापमान में वृद्धि के कारण किसानों को सतर्क रहना होगा.

 

MORE NEWS

Read more!