
हरियाणा में धान की खरीद का काम जारी है लेकिन इससे जुड़ी कई तरह की खबरें भी सामने आ रही हैं. यहां के अंबाला जिले से जो ताजा जानकारी आ रही है, उसके मुताबिक धान की कुल आवक में मामूली कमी आने की उम्मीद है क्योंकि नई आवक कम होने लगी है. जिला प्रशासन की तरफ से जो आंकड़ें साझा किए गए हैं उनके अनुसार, अब तक जिले की 15 अनाज मंडियों और खरीद केंद्रों में 5.65 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की आवक हो चुकी है. पिछले साल, जिले में कुल आवक करीब 6.06 लाख मीट्रिक टन दर्ज की गई थी. लेकिन किसानों की मानें तो इसके पीछे भी एक बड़ा खेल चल रहा है.
अंबाला के किसानों का कहना है कि भारी बारिश, जलभराव और फसल रोगों के कारण उपज में हुए नुकसान को देखते हुए, 5.65 लाख मीट्रिक टन आवक का आंकड़ा गलत दिखाया जा रहा है. किसानों ने इसके साथ ही जांच की मांग की है. भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के जिला अध्यक्ष मलकीत सिंह ने अखबार ट्रिब्यून से कहा, 'इस साल किसानों को भारी नुकसान हुआ है. पिछले साल 34-35 क्विंटल की उपज के मुकाबले, इस साल किसानों ने औसतन 20-25 क्विंटल की उपज बताई है. दूसरे राज्यों से मिलों में भारी मात्रा में चावल लाया जा रहा है, जिससे राज्य के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान हो रहा है. यूनियन गेट पास जारी करने और मिलों के फिजिकल वैरीफिकेशन की जांच की मांग कर रही है ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके.'
वहीं बीकेयू (शहीद भगत सिंह) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने कहा, 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल और बाकी पोर्टलों का दुरुपयोग फर्जी रजिस्ट्रेशन और उत्तर प्रदेश से लाए गए धान और चावल को एडजस्ट करने के लिए किया जा रहा है. सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए, धान की जमीन का क्रॉस-वेरिफिकेशन करना चाहिए और इस स्थिति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.'
जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) अपार तिवारी ने कहा कि कुल आवक पिछले साल की तुलना में कम रहने की उम्मीद है. उनका कहना था कि अनाज मंडियों में नई आवक न के बराबर है और इस साल कुल आवक 5.75 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है जबकि पिछले साल कुल आवक 6.06 लाख मीट्रिक टन थी. मिलों का फिजिकल वैरीफिकेशन कुछ दिनों में शुरू होगा और मिलों में चावल और धान की मात्रा के बारे में पूरी जानकारी इस वैरीफिकेशन के बाद ही साफ हो पाएगी.
वहीं अंबाला के डीसी अजय सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को इसी महीने मुआवजा मिलने की संभावना है. उनका कहना था कि खरीद सीजन अपने अंतिम चरण में है और नई आवक कम है. भारी बारिश और जलभराव से हुए नुकसान के कारण पिछले साल की तुलना में आवक में कमी देखी जा रही है. किसानों ने जिले में 51,000 एकड़ में हुए नुकसान के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दावा दायर किया था और सत्यापन के बाद, जानकारी विचार के लिए भेज दी गई है.'
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