kashi Purvi Peas: बंपर पैदावार देने वाली मटर की अगेती किस्म है काशी पूर्वी, 65 दिनों में मिलेगी इतनी पैदावार

kashi Purvi Peas: बंपर पैदावार देने वाली मटर की अगेती किस्म है काशी पूर्वी, 65 दिनों में मिलेगी इतनी पैदावार

वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR ) ने मटर की एक नई प्रजाति काशी पूर्वी विकसित की है. मटर की इस किस्म से बंपर उत्पादन ही नहीं होता है बल्कि कम समय में यह तैयार होने वाली दलहन किस्म भी है. अभी तक मटर की जो भी किस्म किसानों के द्वारा खेतो में बोई जाती थी, वो 80 से 85 दिन में पैदावार देती है जबकि काशी पूर्वी 65 दिन में ही तैयार हो जाती है.

धर्मेंद्र सिंह
  • Varanasi ,
  • Jan 29, 2024,
  • Updated Jan 29, 2024, 11:15 AM IST

दलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए देश के कृषि अनुसंधान संस्थान का प्रयास जारी है. इस दिशा में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान का प्रयास भी सराहनीय है. वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR ) ने मटर की एक नई प्रजाति काशी पूर्वी को विकसित की है. मटर की इस किस्म से बंपर उत्पादन ही नहीं होता है बल्कि कम समय में यह तैयार होने वाली दलहन किस्म भी है. अभी तक मटर की जो भी किस्म किसानों के द्वारा खेतो में बोई जाती थी, वो 80 से 85 दिन में पैदावार देती है जबकि काशी पूर्वी 65 दिन में ही तैयार हो जाती है. वही इस किस्म की मटर का उत्पादन भी दूसरी किस्मों से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक है. यह किस्म किसानों के लिए अगेती किस्म है जिससे उनका मुनाफा की डबल होगा.

मटर की अगेती किस्म है काशी पूर्वी 

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) के द्वारा मटर की अगेती किस्म काशी पूर्वी को विकसित किया गया है. मटर की इस किस्म को विकसित करने का काम डॉ. ज्योति देवी और डॉ. आर.के दुबे ने किया है. डॉ ज्योति सैनी ने किसान तक को बताया कि काशी पूर्वी नाम की मटर की यह नई अगेती प्रजाति है. इसे अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई कर सकते हैं. वही यह ज्यादा उपज देने वाली किस्म है. किसान 120 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इसकी बिजाई कर सकते हैं. मटर की अधिकतम उपज लेने के लिए पौधे के बीच 7 से 10 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए. वहीं कतारों को एक दूसरे से कम से कम 30 सेंटीमीटर की दूरी पर भी रखनी चाहिए. मटर की यह प्रजाति 110 से 120  क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज दे सकती है.

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मटर की इस किस्म से मिलेगा ज्यादा उत्पादन 

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की वरिष्ठ महिला कृषि वैज्ञानिक डॉ ज्योति सैनी ने बताया कि काशी पूर्वी मटर की अगेती प्रजाति है. इसकी बुवाई से 35 से 40 दिनों के भीतर ही फूल आने लगते हैं और 65 से 75 दिनों में मटर की उपज आनी शुरू हो जाती है. एक पौधे में 10 से 13 फलियां लगती हैं. प्रति हेक्टेयर काशी पूर्वी किस्म के मटर का उत्पादन 117 क्विंटल तक पाया गया है. दूसरी मटर की किस्म की अपेक्षा यह जल्दी तैयार हो जाती है. इस किस्म की मटर की खेती के माध्यम से किसानों को समय से पूर्व मटर की उपज मिल जाएगी जिससे उन्हें अच्छा बाजार भाव भी मिलेगा. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी. वहीं दूसरी मटर की किस्म के मुकाबले करीब प्रति हेक्टेयर इसका 20 क्विंटल से अधिक उत्पादन भी है. 

रोग प्रतिरोधी है मटर की यह किस्म

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ टी.के बेहरा ने बताया कि मटर की नई किस्म काशी पूर्वी को खरीफ और रबी फसल के चक्कर के बीच में भी बोया जा सकता है. मटर की यह किस्म जल्दी तैयार होने के चलते किसानों को इसका भरपूर फायदा मिलेगा. वही यह किस्म सफेद चूर्ण आशिता और रतुआ रोग के प्रति रोधी भी है.

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