खेत में ही बर्बाद हो जाता है 15 फीसदी टमाटर, मध्‍य प्रदेश में हुई स्‍टडी में सामने आया चौंकाने वाला सच 

खेत में ही बर्बाद हो जाता है 15 फीसदी टमाटर, मध्‍य प्रदेश में हुई स्‍टडी में सामने आया चौंकाने वाला सच 

इस स्‍टडी में शामिल लोगों की मानें तो खेत के स्‍तर पर टमाटर के नुकसान की कई ऐसी वजहें हैं जो खेती के तरीकों से जुड़ी हैं. स्‍टडी के अनुसार खेत के स्तर पर टमाटर के नुकसान की मुख्‍य वजहें खराब उत्पादन, कटाई और कटाई के बाद की परंपराएं जैसे कटाई का समय और तरीका, पैकेजिंग और अस्थायी स्‍टोरेज शामिल हैं. स्‍टडी में करीब 80 किसान शामिल थे.

मध्‍य प्रदेश में टमाटर पर हुई एक अहम स्‍टडी मध्‍य प्रदेश में टमाटर पर हुई एक अहम स्‍टडी
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 26, 2024,
  • Updated Sep 26, 2024, 9:48 AM IST

एक तरफ टमाटर की कीमतें अक्‍सर लोगों को परेशान करती हैं तो दूसरी तरफ इसी टमाटर का एक बड़ा हिस्‍सा बर्बाद हो जाता है. एक नई स्‍टडी से तो यही पता चलता है. मध्‍य प्रदेश में टमाटर पर हुई एक स्‍टडी पर अगर यकीन करें तो 15 फीसदी टमाटर उसी समय नष्‍ट हो जाते हैं जब वो खेत में होते हैं. जबकि 12 फीसदी टमाटर रिटेल लेवल पर बर्बाद हो जाते हैं. इस स्‍टडी में शामिल लोगों की मानें तो खेत के स्‍तर पर होने वाले नुकसान के कई कारण हैं जिन पर ध्‍यान देना काफी जरूरी है. यह स्‍टडी ऐसे समय में आई है जब पिछले दिनों टमाटर की गिरती-चढ़ती कीमतों ने ग्राहकों और किसान दोनों को ही परेशान किया है. 

क्‍यों खराब हो जाता टमाटर 

बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार स्‍टडी में 80 किसान भी शामिल थे और इस स्‍टडी में शामिल लोगों की मानें तो खेत के स्‍तर पर टमाटर के नुकसान की कई ऐसी वजहें हैं जो खेती के तरीकों से जुड़ी हैं. स्‍टडी के अनुसार खेत के स्तर पर टमाटर के नुकसान की मुख्‍य वजहें खराब उत्पादन, कटाई और कटाई के बाद की परंपराएं जैसे कटाई का समय और तरीका, पैकेजिंग और अस्थायी स्‍टोरेज शामिल हैं. जबकि स्‍टोरेज, हैंडलिंग और प्रिजर्वेशन के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे की कमी और मौसम की स्थितियां भी नुकसान में जमकर योगदान करती हैं. 

अगर बात रिटेल यानी खुदरा स्‍तर पर होने वाले नुकसान की बात करें तो इसके मुख्य कारणों में उत्पादन के दौरान कीटों और बीमारियों का संक्रमण, पल-पल बदलने वाले मौसम की स्थितियां  और खराब मैनेजमेंट जैसे पैकेजिंग और अस्थायी स्‍टोरेज, स्‍टोरेज की कमी और  उपभोक्ता की प्राथमिकताएं जो कॉस्मेटिक विनिर्देशों पर असर डालती हैं, शामिल हैं. 

सबसे ज्‍यादा अस्थिर कीमतें 

आपको बता दें कि भारत में सालाना करीब 20-21 मिलियन टन टमाटर का उत्पादन होता है. यह प्याज और आलू के साथ तीन प्रमुख सब्जियों में से एक है, जिनकी कीमतें सबसे ज्‍यादा अस्थिर हैं. वर्ल्ड रिसोर्सेज इंडिया (WRI) की तरफ से मध्य प्रदेश के तीन जिलों धार, छिंदवाड़ा और झाबुआ में हुई स्‍टडी को हाल ही में एक वर्किंग पेपर के तौर पर जारी किया गया था.  WRI इंडिया भारत की विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्‍य और केंद्र सरकारों, व्यवसायों और सिविल सोसायटी के साथ काम करता है. 

स्‍टडी में शामिल कितने किसान 

स्‍टडी के लिए डेटा कलेक्‍शन में किसानों, थोक रिटेलर्स, ट्रेडर्स और खुदरा रिटेलर्स का चयन करने के लिए स्नोबॉल सैंपलिंग का प्रयोग किया गया. 80 किसानों की मदद से हुए डेटा कलेक्‍शन में 32 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसान, 33 प्रतिशत अर्ध मध्यम किसान, 29 प्रतिशत मध्यम किसान और छह प्रतिशत बड़े किसान और 20 थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता शामिल थे. स्‍टडी को तैयार करने वाले लेखकों के अनुसार मध्य प्रदेश को चुना गया क्योंकि यह आंध्र प्रदेश के बाद टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. 

बर्बादी रोकने में असफल भारत 

भारत दुनिया में टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है. रिपोर्ट की मानें तो भारत फलों और सब्जियों के टॉप प्रोड्यूसर में से एक होने के बावजूद, फलों और सब्जियों की बर्बादी को रोकने में असफल है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) की तरफ से हुई एक रिसर्च के लेटेस्‍ट आंकड़ों की मानें तो भारत में फलों और सब्जियों में सबसे अधिक कटाई के बाद का नुकसान होता है. 

हजारों करोड़ों रुपये के टमाटर बर्बाद! 

नाबार्ड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड (एनएबीसीओएनएस) की साल 2022 में हुई स्‍टडी के अनुसार, अमरूद (15 प्रतिशत) के बाद टमाटर को दूसरा सबसे ज्‍यादा नुकसान कटाई के बाद होता है और 11.61 प्रतिशत का नुकसान इसे झेलना पड़ता है.  तीन वर्षों (2019-20, 2020-21 और 2021-22) के औसत थोक वार्षिक मूल्यों के आधार पर, साल 2020-21 में कटाई के बाद के नुकसान की कीमत करीब 152,790 करोड़ रुपये (18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) आंकी गई थी. 

यह भी पढ़ें- 

 

MORE NEWS

Read more!