Gehu: गेहूं के लिए खतरनाक है ये खरपतवार और रोग, बचाव के लिए अभी करें उपाय

Gehu: गेहूं के लिए खतरनाक है ये खरपतवार और रोग, बचाव के लिए अभी करें उपाय

कई जगहों पर फसल में रोग और खरपतवार लगने की घटनाएं सामने आईं है, जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है. किसानों को इन्हीं नुकसान से बचाने के लिए  भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने एक सलाह जारी की है.

गेहूं में लगने वाले रोग और खरपतवारगेहूं में लगने वाले रोग और खरपतवार
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Dec 07, 2025,
  • Updated Dec 07, 2025, 10:30 AM IST

देश के अधिकांश राज्यों में गेहूं की बुवाई का काम लगभग पूरा हो गया है, वहीं, कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुवाई जारी है. लेकिन इस बीच कई जगहों पर फसल में कीट-रोग और खरपतवार लगने की घटनाएं सामने आईं है, जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है. किसानों को इन्हीं नुकसान से बचाने के लिए  भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने एक सलाह जारी की है, जिसमें खरपतवार और रोग से बचाव के लिए किसान किन बातों का ध्यान रखें.

गेहूं के लिए खतरनाक रोग और बचाव

गेहूं में दीमक: देरी से बोई जाने गेहूं के फसल में दीमक देखा जा रहा है. इसके फैलने से उत्पादन पर असर होता है. ऐसे में दीमक से नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस @ 0.9 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद डोज/किग्रा बीज) से बीज उपचार किया जाना चाहिए. थायोमेथोक्साम 70 डब्ल्यू एस (क्रूजर 70 डब्ल्यूएस) @ 0.7 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद डोज /किग्रा बीज) या फिप्रोनिल (रीजेंट 5 एफएस @ 0.3 ग्राम ए.आई./किग्रा बीज या 4.5 मिली उत्पाद डोज /किलो बीज) से बीज उपचार भी बहुत प्रभावी है. इसके अलावा समय पर बोई गई फसल में यदि दीमक का आक्रमण दिखाई दे तो फसलों की सिंचाई करें.

गुलाबी तना छेदक कीट: गुलाबी तना छेदक कीट का प्रकोप गेहूं फसल  के उन खेतों में अधिक देखा जाता है, जहां गेहूं की बुवाई कम जुताई करके की जाती है. इससे बचाव के लिए  गुलाबी तना छेदक दिखाई देते ही क्विनालफॉस (ईकालक्स) 800 मिली/एकड़ का पत्तियों पर छिड़काव करें. सिंचाई से भी गुलाबी तना छेदक कीट से होने वाले नुकसान को कम करने में भी मदद मिलती है.

धारीदार रतुआ: किसानों को सलाह दी जाती है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) और भूरा रतुआ का शीघ्र पता लगाने के लिए अपनी गेहूं की फसल का निरीक्षण करते रहे. यदि रतुआ के लक्षणों का संदेह हो, तो पहले पुष्टि सुनिश्चित कर लें, क्योंकि खेत में शुरुआती पीलापन कभी-कभी पीला रतुआ समझ लिया जाता है. वहीं रतुआ रोग से छुटकारे के लिए किसान निकटतम कृषि विभाग/कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें.

गेहूं के लिए खतरनाक खरपतवार और बचाव

- गेहूं में संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाफॉप 15 डब्ल्यूपी @ 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 ईसी @ 400 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2,4-डी ई 500 मिली/एकड़ या मेटसल्फ्युरॉन 20 डब्ल्यूपी 8 ग्राम प्रति एकड़ या कार्केट्राजोन 40 डीएफ 20 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें.

- यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों खरपतवार हैं, तो सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यू जी @ 13.5 ग्राम प्रति एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन मेटसल्फ्युरॉन 80 डब्ल्यू जी 16 ग्राम प्रति एकड़ को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद इस्तेमाल करें. वैकल्पिक रूप से गेहूं में अलग-अलग खरपतवार के नियंत्रण के लिए मेसोसल्फ्यूरॉन आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6 फीसदी डब्ल्यूडीजी @ 160 ग्राम प्रति एकड़ का भी प्रयोग किया जा सकता है.

- यदि बुवाई के समय पाइरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी का प्रयोग नहीं किया गया है, तो बुवाई के 20 दिन बाद यानी पहली सिंचाई से 1-2 दिन पहले 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.

- अगेती बुवाई वाले उच्च उपज वाले गेहूं के लिए, क्लोरमेक्वाट क्लोराइड 50% एसएल के मिश्रण का पहला छिड़काव प्रथम नोड अवस्था (50-55 डीएएस) पर 160 लीटर/एकड़ पानी का प्रयोग करके किया जा सकता है.

- बहु शाकनाशी प्रतिरोधी फैलेरिस माइनर (कनकी/गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए, बुवाई के 0-3 दिन बाद 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पाइरेट्स सल्फोन 85 डब्ल्यू जी का अकेले या पेंडिमेथालिन 30 ईसी 2.0 लीटर/एकड़ के साथ छिड़काव करें. या बुवाई के 0-3 दिन बाद 150-200 लीटर पानी का उपयोग करके एक्लोनिफेन 450 + डाइफ्लुफेनिकन 75+ पाइरोक्सासल्फोन 50 (मैटेनो मोर) का तैयार मिश्रण @ 800 मिली/एकड़ का छिड़काव करें. इसके अलावा पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी का उपयोग करके क्लोडिनाफॉप + मेट्रिब्यूज़िन 12+42% डब्ल्यूपी का तैयार मिश्रण 200 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें. 

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