ICAR ने बनाई सरसों की नई किस्म ‘BPM-11’, देर से बुवाई में भी देगी शानदार पैदावार

ICAR ने बनाई सरसों की नई किस्म ‘BPM-11’, देर से बुवाई में भी देगी शानदार पैदावार

भारत के रेपसीड-मस्टर्ड अनुसंधान निदेशालय (ICAR-DRMR), भरतपुर ने सरसों की उन्नत किस्म BPM-11 विकसित की है. यह किस्म देर से बोई जाने वाली सिंचित भूमि के लिए उपयुक्त है, रोग प्रतिरोधी है और 37.8 फीसद तक तेल की मात्रा देती है.

क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Nov 07, 2025,
  • Updated Nov 07, 2025, 6:55 AM IST

भरतपुर (राजस्थान) स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के रेपसीड-मस्टर्ड अनुसंधान निदेशालय (DRMR) ने सरसों की एक नई और उन्नत किस्म ‘BPM-11’ विकसित की है, जो देर से बोई जाने वाली सिंचित परिस्थितियों में भी बेहतरीन पैदावार देने में सक्षम है. राजस्थान में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर होती है और लाखों किसान इस काम में लगे हैं. इसे देखते हुए यह नई किस्म उनके लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है.

यह किस्म किसानों के लिए विशेष रूप से तब उपयोगी है जब धान या अन्य फसलों की कटाई में देरी के कारण रबी फसलों की बुवाई देर से हो पाती है. BPM-11 ऐसी परिस्थितियों में भी 18.59 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है.

मुख्य विशेषताएं (Key Features)

  • पकने की अवधि: 123 दिन
  • औसत उपज: 18.59 क्विंटल/हेक्टेयर
  • तेल की मात्रा: 37.8 परसेंट

प्रतिरोधकता: White rust, Alternaria leaf blight, Downy mildew और Powdery mildew जैसी प्रमुख बीमारियों के प्रति सहनशील.

अनुशंसित राज्य (Recommended Zones)

यह किस्म विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के लिए अनुशंसित है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म देर से बोई जाने वाली सिंचित भूमि के लिए आदर्श है, जहां सामान्य किस्में उतनी उपज नहीं दे पातीं.

कृषि विशेषज्ञों की राय

आईसीएआर-डीआरएमआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि BPM-11 रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधक है, जिससे किसानों को फफूंदी, पाउडरी मिल्ड्यू और अल्टरनेरिया ब्लाइट जैसी बीमारियों से बचाव में मदद मिलेगी. इसके अलावा, अधिक तेल मात्रा के कारण तेल उद्योग के लिए भी यह किस्म फायदेमंद साबित हो सकती है.

किसानों के लिए लाभ

  • देर से बुवाई में भी अच्छी उपज
  • कम रोग, कम लागत
  • अधिक तेल प्रतिशत से बेहतर बाजार मूल्य
  • सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलता

सरसों उत्पादन में नया अध्याय

भारत में सरसों की खेती का दायरा लगभग 60 लाख हेक्टेयर से अधिक है. जानकारों का कहना है कि BPM-11 जैसी नई किस्में किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ तेल आत्मनिर्भरता मिशन को भी बल देंगी. ICAR-DRMR के अनुसार, इस किस्म को देश के कई राज्य स्तरीय कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से क्षेत्रीय परीक्षणों के बाद खेती के लिए सिफारिश की गई है.

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