राजस्थान के धौलपुर जिले में इस बार किसानो ने सरसों की बुवाई कम कर गेहूं और आलू की बुवाई अधिक की है क्योंकि इस बार अधिक बारिश के कारण खेत जलमग्न हो गए थे और खरीफ की फसल नष्ट हो गई थी.किसानों ने इस बार खेतों में सरसों की फसल की बुवाई तो की थी. लेकिन सरसों अंकुरित नहीं होने पर उन्हें दोबारा गेहूं की फसल की बुवाई करनी पड़ी है. किसानों ने बाजार में आलू और गेहूं की कीमत अधिक मिलने के कारण इस बार इन दोनों फसलों की बुवाई पर अधिक जोर दिया है.
धौलपुर जिले में रबी की फसल की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. जिले में अभी तक गेहूं और आलू की बुवाई इस बार लक्ष्य से अधिक हुई है. कृषि विभाग की और से गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 52 हजार हेक्टेयर मिला है. लेकिन बुवाई 56 हजार 225 हेक्टेयर में हो चुकी है.जबकि आलू की बुवाई 7 हजार 201 हेक्टेयर में हो चुकी है. साथ ही सरसों की बुवाई का लक्ष्य 90 हजार हेक्टेयर था. लेकिन बुवाई 73 हजार 279 हेक्टेयर में हुई है. इस बार मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण सरसों की बुवाई कम हुई है. धौलपुर कृषि विभाग के मुताबिक इस बार रबी सीजन में एक लाख 51 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य सरकार की और से मिला है.पिछली साल यह लक्ष्य एक लाख 43 हजार हेक्टेयर था.
इसमें गेहूं 52 हजार हेक्टेयर जो पिछली साल 49 हेक्टेयर था, चना एक हजार हेक्टेयर, दलहन एक हजार हेक्टेयर, सरसों 90 हजार हेक्टेयर सहित अन्य फसलों के लिए आठ हजार हेक्टेयर का लक्ष्य शामिल है. बीते दस अक्टूबर से आरंभ हुई रबी की फसल में 06 दिसंबर तक सरसों, गेहूं, आलू,चना और दलहन की बुवाई का काम 90 फीसदी पूरा हो गया है. जबकि दस फीसदी में गेहूं की बुवाई शेष रह गई है. अभी तक गेहूं की बुवाई 56 हजार 225 हेक्टेयर हो चुकी है और पिछले वर्ष 52 हजार 667 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी.
ये भी पढ़ें: सरसों की फसल के लिए फायदेमंद हुआ मौसम, गेहूं की फसल पर मंडरा रहा खतरा
जौ की 397 हेक्टेयर, चना 894 हेक्टेयर, सरसों की बुवाई 73 हजार 279 हेक्टेयर हो चुकी है, जो पिछले वर्ष 74 हजार 600 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. आलू की बुवाई 7201 हेक्टेयर में हो चुकी है,जबकि पिछले वर्ष आलू की बुवाई 6 हजार 841 हेक्टेयर में हुई थी. नकदी फसलों में मिर्च, टमाटर, मटर, लहसुन, बैंगन, हरा धनिया समेत अन्य फसल शामिल हैं जो दस हजार 479 हेक्टेयर में बुवाई हुई है. कृषि विभाग के लक्ष्य के मुताबिक अभी तक 94 फीसदी फसलों की बुवाई हो चुकी है.
बता दें कि जिले में सरसों की पैदावार शुरू से ही अच्छी होती आई है और हर साल कृषि विभाग सरसों की बुवाई के लिए भी रकबा बढ़ाता रहता है. इस साल सरसों के लिए 90 हजार हेक्टेयर बुवाई का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से अभी तक 73 हजार 279 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई है. लेकिन इस बार गेहूं और आलू की बुवाई पर किसानों ने जोर दिया है. अधिक बारिश होने के कारण खेतों में पानी भर जाने के कारण सरसों की बुवाई में देरी हो जाने से किसानों ने सरसों की जगह गेहूं और आलू की बुवाई कर दी है. इससे गेहूं और आलू की बुवाई का रकबा बढ़ गया है. साथ ही आलू और गेहूं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने के कारण किसानों ने अबकी बार इन दो फसलों पर जोर दिया है.
किसान विनीत शर्मा, गोविंद सिंह परमार, सांवलिया और मोहर सिंह ने बताया कि बारिश अधिक होने के कारण सरसों की बुवाई इस बार कम हुई है. गेहूं की बुवाई अधिक हुई है. साथ ही आलू की बुवाई भी की है. इस बार दिन में तापमान बढ़ रहा है जो फसलों के हिसाब से सही नहीं है. तापमान के उतार चढाव के कारण उत्पादन भी कम हो जाएगा. किसानो के मुताबिक़, गेहूं और आलू के लिए तापमान कम होना चाहिए. तापमान अधिक होने के कारण गेहूं के पौधे का कलर काला पड़ जाता है.
किसानों ने बताया कि बारिश अधिक होने के कारण खेतों में पानी भर जाने से सरसों की बुवाई का समय निकल गया. इसके कारण बुवाई समय पर नहीं हो सकी. किसानों कहते हैं कि समय पर जहां सरसों की बुवाई की, लेकिन कीट लग जाने से पौध नष्ट हो गए. इसके बाद दोबारा खेत की बुवाई कर गेहूं की बुवाई करनी पड़ी हैं. किसानों के मुताबिक समय पर सरसों की बुवाई नहीं हो तो पैदावार कम होती है और रोग आने की संभावना रहती है.
गेहूं और आलू की फसल मौसम की मार झेल जाती हैं और पैदावार पर भी फर्क नहीं पड़ता है. मौसम के उतार चढाव के कारण सरसों में अधिक नुकसान होता है. इस कारण सरसों की बुवाई कम की है. किसानों ने बताया कि इस बार कम एरिया में चना, मिर्च और सब्जी की फसलों की बुवाई की है. अगर तापमान ऐसा ही बना रहा तो रबी की फसल को नुकसान होने की आशंका है. किसानों के मुताबिक बारिश अधिक होने के कारण गेहूं और आलू की ज्यादा बुवाई की है.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. हब्बल सिंह ने बताया कि धौलपुर जिले में रबी की फसलों में सरसों, गेहूं और आलू की बुवाई अधिक की जाती है और एक हजार हेक्टेयर में चना की बुवाई होती है. शेष फसलों में सब्जी और हरा चारा हैं. जिले में अधिक बारिश होने के कारण खेतों में पानी भर गया था और किसानों ने बसेड़ी, सैपऊ और अन्य क्षेत्रों में सरसों की बुवाई समय पर नहीं की. कुछ किसानों ने सरसों की बुवाई कर दी थी.
ये भी पढ़ें: गेहूं की बुवाई के लिए पूसा ने जारी की एडवाइजरी, पछेती किस्मों की ये है लिस्ट
हब्बल सिंह कहते हैं, खेतों में नमी होने के कारण और तापमान अधिक होने से खेतों में दोबारा गेहूं फसल की बुवाई की है. सरसों बुवाई का एरिया कम हुआ है. गेहूं और आलू की बुवाई का एरिया बढ़ा है. कुछ जगह अभी गेहूं की बुवाई चल रही है. इस बार आलू की कीमत अच्छी रही है तो किसानों ने इस बार फसलों को डायवर्ट किया है. इस बार बारिश अधिक होने के कारण खेतों में पानी भर गया था. इसके कारण सरसों की बुवाई समय पर नहीं हो सकी और गेहूं की बुवाई करनी पड़ी है. तापमान बढ़ने का अभी तक फसलों को नुकसान नहीं है.(उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)