राजस्थान के किसान अब स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग भी ले सकेंगे. इसके लिए राजस्थान का पहला कृषि कौशल विकास संस्थान हनुमानगढ़ जिले में खोला जा रहा है. इसमें किसानों को 14 से 42 दिन तक ट्रेनिंग दी जाएगी. स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस संस्थान के खुलने से खेती में और भी ज्यादा नवाचार होंगे. संस्थान हनुमानगढ़ के कृषि विभाग के कृषि अनुसंधान उप केन्द्र में शुरू किया जाएगा. बाद में संस्थान का कैंपस बनने के बाद उसमें शिफ्ट कर दिया जाएगा.
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वीसी अरुण कुमार ने बताया कि संस्थान में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी. एक बैच में 25 किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही किसी भी उम्र का किसान इस कोर्स में हिस्सा ले सकेगा. सबसे अच्छी बात यह है कि प्रशिक्षण कोर्स को शिक्षित और निरक्षर दोनों तरह के किसानों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. ट्रेनिंग के लिए कुल 15 कोर्स होंगे.
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इनमें से 10 कोर्स साक्षर और निरक्षर किसानों के लिए होंगे. वहीं, पांच कोर्स पूरी तरह टेक्निकल होंगे. वीसी ने कहा कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद किसानों को संस्थान की ओर से सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे. बैंकों के माध्यम से किसानों को लोन दिलवाया जाएगा ताकि किसान खेती में नवाचार के साथ-साथ अपने उद्योग भी लगा सकें.
वीसी अरुण कुमार ने जानकारी दी कि हनुमानगढ़ में स्टूडेंट्स को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर और हनुमानगढ़ की खुशालदास यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू हुआ है. इससे स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ हनुमानगढ़ के स्टूडेंट्स को भी मिलेगा.
केशवानंद यूनिवर्सिटी की लैब का उपयोग एसकेडी के स्टूडेंट्स भी कर सकेंगे. इससे हनुमानगढ़ में कृषि संबंधी शोध को बढ़ावा मिलेगा. अरुण कुमार ने कहा कि हनुमानगढ़ में किन्नू की खेती बड़ी मात्रा में होती है. आने वाले दिनों में किन्नू से बनने वाले प्रोडक्ट पर भी काम किया जाएगा.
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स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वीसी अरुण कुमार ने कहा कि खेती आज के समय में सबसे अच्छे रोजगारों में से एक है. युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए किसानों का संगठन बनाया जाएगा. अगर ये युवा खेती में इनोवेशन करेंगे तो इससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा और खेती में नई परंपराएं भी शुरू होंगी.
हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों को राजस्थान का अनाज का कटोरा कहा जाता है. इन जिलों में किन्नू पैदा होते हैं. अगर इस खेती को नवाचार से जोड़ा जाएगा ताकि यहां के किसानों इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें.
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