
पंजाब में कई किसानों के लिए इस बार का धान का सीजन ठीक नहीं रहा. कमाई से ज्यादा उन्हें निराशा हाथ लगी है. कुल मिलाकर इन किसानों को तकरीबन 10,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लंबे समय तक खरीद में देरी और बाढ़, बेमौसम बारिश और खराब पैदावार ने फसल को चौपट कर दिया. जो फसल बची भी, उसका रेट सही नहीं मिल पा रहा है.
अमृतसर से दोआबा तक की मंडियों में निराशा की लहर दौड़ रही है. महीनों तक अपनी फसलों के पकने का इंतजार करने के बाद, किसान अब देख रहे हैं कि उनकी उपज की कीमत कम हो रही है क्योंकि नुकसान और धान के बदरंग होने की समस्या तय लिमिट से 5 परसेंट ज्यादा हो गई है.
कपूरथला के एक किसान गुरजीत सिंह ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से कहा, "जब तक फसल कटाई के लिए तैयार हुई, मेरी उपज का दाना पहले ही खराब हो चुका था." उन्होंने कहा कि ज्यादा नमी के कारण, उन्हें और अन्य किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने में परेशानी हो रही है.
राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अनुसार, कुल धान की आवक 150 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है, जो नौ सालों में सबसे कम है और शुरुआती अनुमान से लगभग 20 फीसद कम है. यह गिरावट ज्यादा बुवाई क्षेत्र - इस साल 32.49 लाख हेक्टेयर - के बावजूद आई है, जो यह दिखाता है कि मौसम कितना विनाशकारी रहा है. बाढ़ से पहले कुल खरीद 180-185 करोड़ रुपये आंकी गई थी.
अगस्त और सितंबर में बाढ़ और बेमौसम बारिश ने न केवल पैदावार कम की है बल्कि कटाई में भी देरी की है. जब अक्टूबर में खरीद शुरू हुई, तब तक नमी की मात्रा तय सीमा से ज्यादा हो गई थी. खराब रंग वाले अनाज के लिए नियमों में ढील देने से केंद्र के इनकार ने परेशानी और बढ़ा दी है.
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां ने कहा कि किसानों को इस मौसम में "दोहरी मार" झेलनी पड़ी है. मौसम ने फसल को नुकसान पहुंचाया और पूरा मौसम लंबा खिंच गया और केंद्र सरकार राहत देने में नाकाम रही. अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में, जहां खेत पानी में डूब गए थे, वहां मंडियों में बची हुई फसल को भी खारिज किया जा रहा है. बाढ़ के कारण 5 लाख एकड़ फसल खराब हो गई और 2.97 लाख एकड़ से ज्यादा फसल को 100 फीसद नुकसान हुआ है.
चल रहे धान खरीद के मौसम के बीच, लुधियाना जिले की मंडियों में अब तक लगभग 8 लाख टन धान आया है, जो पिछले साल की 16.5 लाख टन की आवक से काफी कम है. इसमें से 48,000 टन बुधवार को आया. खरीद के मामले में, गुरुवार तक 7.6 लाख टन की खरीद हो चुकी है, जबकि 6.8 लाख टन उठाया जा चुका है.
अपनी नुकसान के आकलन रिपोर्ट में, जिला कृषि विभाग ने कटाई के मौसम में लुधियाना में लगातार बारिश के कारण फसलों को हुए भारी नुकसान का जिक्र किया है. लुधियाना के किसानों ने बताया कि उपज में कमी के कारण उन्हें काफी आर्थिक परेशानी हो रही है.
आलमगीर साहिब के रानिया गांव के एक किसान जसपाल सिंह ने कहा, “शुरू में, फसल में ज्यादा नमी होने के कारण, हमें हर स्टैंडर्ड 37.5 किलो के जूट के बोरे के साथ 5 से 10 किलो ज्यादा धान देना पड़ रहा था. हालांकि, मौसम में सुधार के साथ, नमी का स्तर अब तय 17 परसेंट पर स्थिर हो गया है, जिससे स्थिति बेहतर हुई है.”
दक्षिण मालवा क्षेत्र के किसान गैर-बासमती किस्मों में उपज में कमी की शिकायत कर रहे हैं, क्योंकि मुख्य खरीफ फसल की खरीद आखिरी चरण में पहुंच गई है. एक्सपर्ट का कहना है कि राज्य के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में धान उगाने वाले किसानों को 5-15 फीसद उत्पादन का नुकसान हुआ है.
एक विशेषज्ञ ने कहा कि कम उपज के बावजूद, अनाज अच्छी क्वालिटी का था और नमी का स्तर जरूरी पैरामीटर के अंदर पाया गया. फाजिल्का एकमात्र अपवाद है जहां गुरुवार तक धान की कटाई 25 परसेंट तक पहुंच गई है. मनसा के एक किसान गुरचेत सिंह ने कहा कि बारिश के कारण कटाई प्रभावित होने से इस बार मंडियों में भीड़ जैसी स्थिति नहीं थी.