पंजाब, हरियाणा समेत देश के विभिन्न राज्यों में धान की बुवाई और रोपाई का काम चल रहा है. इस बीच, पंजाब सरकार ने धान किसानों को बड़ी राहत देते हुए नहरों के जरिए सिंचाई पानी की सप्लाई बढ़ाने की बात कही है. राज्य के सिंचाई विभाग ने कहा कि वर्तमान में धान रोपाई-बुवाई सीजन को देखने हुए नहरों से पानी की सप्लाई उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की उम्मीद है. विभाग के अनुसार इस साल नहरों में पानी की सप्लाई का औसत दैनिक प्रवाह 26 हजार क्यूसेक रहा है, जिसके अब 10 हजार क्यूसेक बढ़कर 36 हजार क्यूसेक होने का अनुमान है. नहरों से सप्लाई बढ़ाने का उद्येश्य ग्राउंडवाटर का इस्तेमाल को कम करना और कृषि स्थिरता को बढ़ावा देना है.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंचाई विभाग के एक सीनियर अफसर ने कहा कि नहरों से पानी की सप्लाई 10 हजार क्यूसेक बढ़ाने से लगभग 1.25 लाख ट्यूबवेल से पानी निकाले जाने जितना भूजल बचाने में मदद मिलेगी. विभाग के मुताबिक, अभी राज्य में 42 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में से लगभग 31.38 लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए नहरों से पानी सप्लाई होता है, जबकि शेष कृषि भूमि तक पहुंच बनाने के लिए नई नहरों और लिफ्ट सिंचाई योजनाओं पर काम चल रहा है.
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विभाग ने कहा कि नहरों के माध्यम से अंतिम छोर तक पानी की सप्लाई हो रही है, किसानों ने इस क्षेत्र में सकारात्मक विकास देखा है. बताया गया कि खासकर अबोहर और फाजिल्का जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से सिंचाई के पानी की समस्या रही है, लेकिन अब यहां के किसानों को राहत मिली है.
वहीं, नहरों से पानी की सप्लाई को लेकर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने विभाग के दावों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अंतिम छोर पर मौजूद गांवों तक पानी जरूर पहुंचा है, लेकिन परियोजना को चलाने का तरीका घटिया रहा है, कई जगहों पर काम अधूरा है. यही वजह है कि सभी नहरें से पानी की सप्लाई नहीं हो रही है.
वहीं, नहरों से पानी की सप्लाई बढ़ाए जाने को लेकर कहा जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार ने कहा कि पिछले दो सालों में धान की रोपाई के सीजन से पहले 17,000 नहरों को बहाल किया गया है. उन्होंने बताया कि इसमें कई नहरें ऐसी हैं, जो पिछले 30-40 सालों से बंद थीं. बताया गया कि वर्तमान सरकार ने मुख्य नहरों से अलग 1,140 किलोमीटर नए जलमार्ग जोड़े हैं.