अमरावती में सोयाबीन की सरकारी खरीदी आज आधी रात से बंद, किसानों ने तारीख बढ़ाने की मांग उठाई

अमरावती में सोयाबीन की सरकारी खरीदी आज आधी रात से बंद, किसानों ने तारीख बढ़ाने की मांग उठाई

नेफेड द्वारा अकोला जिले में 9.50 लाख क्विंटल सोयाबीन की खरीदी का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से अब तक 8.50 लाख क्विंटल की खरीदी पूरी हो चुकी है. पेचर रोड स्थित पालोदी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के संचालक श्रीधर वखरे के मुताबिक, अब भी हजारों किसान अपने ट्रैक्टर और गाड़ियों में सोयाबीन लेकर खरीदी केंद्रों पर खड़े हैं, लेकिन संभावना है कि उनकी पूरी फसल खरीदी नहीं हो सकेगी.

बीते सप्ताह केंद्र ने एमएसपी पर सोयाबीन खरीद की मंजूरी दी है. बीते सप्ताह केंद्र ने एमएसपी पर सोयाबीन खरीद की मंजूरी दी है.
धनंजय साबले
  • Akola,
  • Feb 06, 2025,
  • Updated Feb 06, 2025, 6:15 PM IST

महाराष्ट्र के अकोला और अमरावती जिले में सरकारी सोयाबीन खरीदी गुरुवार रात 12:00 बजे के बाद बंद हो जाएगी. इस फैसले से किसान परेशान हैं और खरीदी केंद्रों पर लंबी कतारें लगी हुई हैं. नेफेड और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा अब तक 8.50 लाख क्विंटल सोयाबीन की खरीदी की जा चुकी है. लेकिन जिले में अब भी लगभग 1 लाख क्विंटल सोयाबीन किसानों के पास बची हुई है. किसानों की मांग है कि खरीदी की तारीख आगे बढ़ाई जाए ताकि उनकी बची हुई उपज को भी सरकारी रेट पर खरीदा जा सके.

किसानों की क्या है चिंता

सरकारी खरीदी केंद्रों पर किसानों को 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की दर मिल रही है, जबकि प्राइवेट व्यापारी 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तक ही दाम दे रहे हैं. ऐसे में किसान अपनी उपज सरकारी दरों पर ही बेचना चाहते हैं. लेकिन गुरुवार रात 12:00 बजे के बाद खरीदी बंद होने से वे आशंकित हैं कि उनकी फसल औने-पौने दामों में प्राइवेट व्यापारियों को बेचनी पड़ सकती है.

खरीदी केंद्रों पर हालात

नेफेड द्वारा अकोला जिले में 9.50 लाख क्विंटल सोयाबीन की खरीदी का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से अब तक 8.50 लाख क्विंटल की खरीदी पूरी हो चुकी है. पेचर रोड स्थित पालोदी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के संचालक श्रीधर वखरे के मुताबिक, अब भी हजारों किसान अपने ट्रैक्टर और गाड़ियों में सोयाबीन लेकर खरीदी केंद्रों पर खड़े हैं, लेकिन संभावना है कि उनकी पूरी फसल खरीदी नहीं हो सकेगी.

वखरे ने कहा, "हमारे केंद्र पर आज रात 12:00 बजे तक खरीदी जारी रहेगी, लेकिन किसानों की संख्या बहुत ज्यादा है. अभी भी जिले में 1 लाख क्विंटल से अधिक सोयाबीन किसानों के पास है, जिसे 12:00 बजे तक खरीद पाना मुश्किल नजर आ रहा है. अगर सरकार खरीदी की तारीख बढ़ा देती है तो किसानों को राहत मिल सकती है."

किसानों की क्या है मांग

किसानों का कहना है कि सरकार को खरीदी की तारीख कम से कम कुछ और दिनों के लिए बढ़ानी चाहिए ताकि उनकी बची हुई फसल भी सरकारी दर पर खरीदी जा सके. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरी में प्राइवेट व्यापारियों को कम दामों में फसल बेचनी पड़ेगी, जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा. अब देखना होगा कि सरकार किसानों की इस मांग पर क्या फैसला लेती है. क्या खरीदी की तारीख बढ़ेगी या किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.

इस बार चुनाव में सोयाबीन खरीद का मुद्दा भी हावी रहा था क्योंकि उसी समय दाम में बड़ी गिरावट देखी गई. इस गिरावट को लेकर किसानों में रोष था. बाद में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को सोयाबीन के दाम बढ़ाने का ऐलान करना पड़ा. सरकार ने यह भी कहा कि किसानों को बढ़े हुए दाम का लाभ दिया जाएगा.

 

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