
नागपुर जिले में एक तरफ किसानों के मुद्दे पर प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू का आंदोलन चल रहा है तो दूसरी ओर बदहाली में किसान अपनी उपज को तबाह कर रहे हैं. वजह है भारी बारिश से फसल का नुकसान और कमाई में आई गिरावट. ताजा मामला नागपुर जिले का ही है जहां बेमौसम बारिश से अपनी फसल बर्बाद होने से परेशान एक सोयाबीन किसान ने अपनी कटी हुई फसल में आग लगा दी. आंदोलन और फसल में आग जैसी घटनाओं से समझ सकते हैं कि विदर्भ में कृषि संकट की कैसी तस्वीर है.
आइए पूरे मामले को जान लेते हैं. किसान विजय अंबोरे ने 1.79 लाख रुपये का बैंक लोन लेकर चार एकड़ जमीन पर सोयाबीन की खेती की थी. अच्छी पैदावार के बाद, अंबोरे ने फसल काटकर अपने खेत में जमा कर ली थी और आने वाले दिनों में उसे बेचने का प्लान बनाया था. लेकिन अक्टूबर के आखिर में हुई भारी बेमौसम बारिश ने फसल को पूरी तरह से भिगो दिया, जिससे वह बेचने लायक नहीं रही. नुकसान और निराशा से टूटकर अंबोरे ने बर्बाद फसल को जला दिया. 'लाइव नागपुर.कॉम' ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है.
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब महाराष्ट्र में किसानों की परेशानी, फसल का नुकसान और बढ़ता कर्ज गंभीर मुद्दे बन गए हैं. हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति ने इस संकट को और बढ़ा दिया है, खासकर नागपुर के आस-पास के ग्रामीण इलाकों में. यहां के किसान उपज का सही दाम नहीं मिलने से हताश और निराश हैं. प्याज जैसी फसल के दाम ने उन्हें और भी मायूस किया है.
सोयाबीन फसल जलाने की यह घटना नागपुर में चल रहे किसान आंदोलन के बाद हुई है, जिसकी अगुआई पूर्व मंत्री बच्चू कडू कर रहे हैं. वे प्रभावित किसानों के लिए तुरंत मुआवजे और बेहतर फसल बीमा कवर की मांग कर रहे हैं.
किसान संगठनों ने जिला प्रशासन से तुरंत नुकसान का आकलन (पंचनामा) करने और जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें मुआवजा देने की अपील की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यही लापरवाही जारी रही तो पहले से ही कर्ज और बार-बार मौसम की मार झेल रहे किसानों की स्थिति और खराब हो सकती है.
आपको बता दें कि पूर्व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में महा एल्गार मोर्चा के बैनर तले एक बड़े किसान विरोध प्रदर्शन ने बुधवार को दक्षिण नागपुर में अफरा-तफरी मचा दी, जब हजारों किसानों और समर्थकों ने वर्धा रोड और ऑक्सीजन पार्क फ्लाईओवर के पास आउटर रिंग रोड सहित मुख्य रास्तों को जाम कर दिया. इस आंदोलन से लगभग 20 किलोमीटर तक ट्रैफिक जाम हो गया, जिससे पास के टोल प्लाजा को पूरी तरह से बंद करना पड़ा.
टोल प्लाजा का मैनेजमेंट करने वाली ओरिएंटल स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट इंचार्ज प्रशांत बोर्गे के अनुसार, कंपनी को 24 घंटे के अंदर लगभग 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ क्योंकि गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई थी. उन्होंने कहा, "सुबह से ही दोनों तरफ के रास्ते बंद हैं, किसी भी गाड़ी ने टोल बूथ पार नहीं किया है."
रात तक, आउटर रिंग रोड टोल प्लाजा और पास का वर्धा रोड दोनों बंद रहे, ट्रक एक-दूसरे से सटे खड़े थे और टोल लेन खाली पड़ी थी. अधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर यह जाम एक और दिन जारी रहा तो नुकसान 1 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है.