देशभर में इन दिनों मौसम बदला-बदला सा है. कहीं सामान्य से ज्यादा तापमान तो कहीं मॉनसून की वापसी के बीच भारी बारिश का कहर देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र में भी बारिश ने कहर बरपाया हुआ है, जिसके चलते कई जिलों में बाढ़ से लोग बेहाल हैं. हाल के कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से फसलों को भारी मात्रा में नुकसान हुआ है. यहां हिंगोली, बीड, लातुर, जालना, संभाजीनगर में बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. जानिए कहां-कितना नुकसान हुआ…
हिंगोली में इस बार बाढ़ ने किसानों के खड़ी सोयाबीन, कपास और हल्दी की फसलें बर्बाद कर दी हैं. हर किसान अब सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठा है. हिंगोली के किसान विश्वनाथ लोंढे के पांच एकड़ खेतों में लगी सोयाबीन और कपास की फसल बाढ़ में बह गई. दशहरे के मौके पर आने वाली फसल अब पूरी तरह नष्ट हो गई है.
जिले में विट्ठल लोंढे के खेतों में भी कपास और तुअर की फसलें बाढ़ के पानी में खराब हो गई हैं. बारिश के चलते हिंगोली में लगभग 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुई हैं. किसानों का कहना है कि पंचनामे जल्दी किए जाएं और उन्हें राहत दी जाए.
वहीं, बीड जिले में कई दिनों से जोरदार बारिश हो रही है. इस बारिश के कारण फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है. बीते दो दिन से बीड जिले में लगातार बारिश हो रही है. यहां गोदावरी नदी में बाढ आ गई है, जिसका पानी गांवों में घुस गया है और कई इलाके पानी में डूब गए हैं.
बीड के सांसद बजरंग सोनवणे पानी में उतरकर लोगों की मदद कर रहे हैं. बीड जिले के माजलगाव तहसील के कालेगावथडी गांव मे गोदावरी का पानी घुस गया है. जिसके चलते खेत तालाब में तब्दील हो गए हैं. किसानों का नुकसान होने पर सांसद बजरंग सोनवणे ने खेतों का जायजा लिया और किसानों हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
वहीं, मराठवाड़ा के सबसे बड़े पानी का बांध जायकवाडी पूरी तरह से भरा हुआ है. ऊपर से जमा पानी के कारण डैम के 27 दरवाजे खोल दिए गए हैं. इनमें से 1 लाख 3 हजार क्यूसेक पानी गोदावरी नदी में छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण गोदावरी नदी के तट पर बसे कई गांव कुछ हद तक डूब गए हैं. प्रशासन ने पहले ही लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी थी. दो दिन पहले भी डैम से 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिससे पैठण शहर पूरी तरह जलमग्न हो गया था और वहां भारी नुकसान हुआ था.
गोदावरी के किनारे लगे खेतों में कपास की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. मोसंबी के पेड़ पानी में डूबने से उनके फल भी खराब हो गए हैं. नदी के किनारे की उपजाऊ जमीन भी बह गई है, जिससे भविष्य की खेती के लिए चिंता बढ़ गई है. वडवाली गांव के युवा किसान महेश जाधव कहते हैं कि इतनी बड़ी तबाही देखकर अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या किया जाए. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द राहत और मदद मुहैया कराए.
इधर, जालना जिले के घनसावंगी तालुका के गोदाकाठ के गांवों में बाढ़ का पानी घुसने से हालात बेहद भयावह हो गए हैं. गोदावरी नदी के उफान से गांव और खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. कई घरों के आंगन और गलियां पानी में डूब चुकी हैं. लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर जाना पड़ा है.
जायकवाड़ी बांध में लगातार भारी मात्रा में पानी आने के कारण प्रशासन को बांध से बड़े पैमाने पर विसर्ग करना पड़ा. इसी कारण गोदावरी नदी में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया और बाढ़ का पानी गोदाकाठ के गांवों में घुस गया. खेतों में लहलहाती फसलें अब पूरी तरह पानी में डूब गई हैं. सोयाबीन, कपास और मक्का जैसी खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है.
वहीं, लातूर के विभिन्न खेतों में पानी भरा हुआ है. मराठवाड़ा के लातूर जिले के कई इलाकों के खेतों में पानी भर जाने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लातूर के किसान सत्तार पटेल का कहना है कि उनकी 10 एकड़ जमीन है. उन्होंने 6 एकड़ में गन्ने की फसल लगाई थी और करीब 4 एकड़ पर सोयाबीन की फसल लगाई थी, लेकिन पिछले एक महीने से लगातार खेतों में पानी भरा हुआ है. अब किसानों को सरकार से मदद की उम्मीद है.