देश के इतिहास में प्याज की कहानी बेहद ही दिलचस्प रही है. देश में प्याज की बढ़ी हुई कीमतें कभी राजनीतिक उठापटक के लिए जिम्मेदार रही थी. तो वहीं मौजूदा समय में प्याज बदहाली झेलने को मजबूर है. महाराष्ट्र देश का प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य है, लेकिन मौजूदा समय में महाराष्ट्र में ही प्याज की खेती दम तोड़ती नजर आ रही है. बेशक, महाराष्ट्र में प्याज का बंपर उत्पादन हुआ है, लेकिन किसानों के लिए प्याज की खेती मजबूरी हो गई है. असल में महाराष्ट्र के किसानों को प्याज का दाम बेहद कम मिल रहा है. प्याज को मंडी में मिले 100 रुपये क्विंटल (एक रुपये किलो) की खबरें कई बार सुर्खियों में रह चुकी है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार किसानों पर मरहम लगाने के लिए आगे आई हैं, जिसके तहत प्याज किसानों को सब्सिडी देने का फैसला लिया गया है, लेकिन अब प्याज किसान सब्सिडी की शर्तों में उलझे हुए हैं.
प्याज किसानों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सहयोग देने की पॉलिसी बनाई है, लेकिन, प्याज किसानों को उसका फायदा मिलता हुआ नहीं दिख रहा है. किसानों का आरोप है कि उसमें कंडीशन ऐसी लगाई गई हैं कि अधिकांश प्याज उत्पादक किसान उसके दायरे से बाहर हो गए हैं. इससे किसानों में नाराजगी है और वे राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. राज्य सरकार ने प्याज के दाम में कमी से परेशान किसानों को मदद देने के लिए इस राहत पैकेज का एलान किया था..
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि 350 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी पाने के लिए क्या-क्या शर्तें रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने सरकार के रिकॉर्ड में रबी सीजन के प्याज की बुवाई की ऑनलाइन एंट्री दर्ज की है उन्हें ही इस योजना का फायदा मिलेगा. यानी जिन्होंने अपनी फसल का ब्यौरा सरकार को पहले से नहीं दिया है वो इससे बाहर हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे 50 प्रतिशत किसान हैं.
दिघोले का कहना है कि सरकार सिर्फ एक फरवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक बेची गई प्याज पर ही राहत दे रही है. जबकि प्याज का दाम तो 2022 से ही कम है. अप्रैल में भी कम ही भाव चल रहा है. कहीं एक तो कहीं दो और पांच रुपये किलो. सिर्फ दो महीने की राहत क्यों? प्याज के दाम पिछले साल से ही गिरे हुए हैं, उसका रिकॉर्ड देखा जा सकता है.
दूसरी शर्तें क्या हैं?
आधार कार्ड, बैंक पासबुक की कॉपी देनी होगी. एक फरवरी से 31 मार्च 2023 के बीच मंडियों में प्याज बेचने की ओरिजिनल कॉपी देनी होगी. लैंड रिकॉर्ड लगेगा. एक किसान 200 क्विंटल प्याज पर ही सब्सिडी ले सकता है. इस शर्त पर भी किसानों को आपत्ति है. क्या महाराष्ट्र का एक किसान दो महीने में सिर्फ 200 क्विंटल प्याज ही बेचेगा. इस राहत योजना का ऐलान सरकार ने मार्च के दूसरे सप्ताह में किया था.
किसान नेता ने कहा कि सरकार प्याज किसानों की समस्या का स्थायी समाधान निकाले. क्योंकि इतनी शर्तों के साथ राहत देने की योजना से कोई फायदा नहीं है. विपक्ष ने प्याज किसानों की समस्या की विधानसभा में आवाज उठाई तो दबाव में आकर राज्य सरकार ने राहत पैकेज का एलान तो कर दिया, लेकिन शर्तों को देखकर ऐसा लगता है कि राहत देने की मंशा ही नहीं है.
सरकार किसानों की लागत के आधार पर प्याज की एमएसपी तय करे. उससे कम दाम पर खरीद न होने का कानून बनाए तब जाकर किसानों को राहत मिलेगी.