महाराष्‍ट्र के हल्‍दी किसानों की बढ़ी च‍िंता, बोले- उपज बाजार पहुंचने तक पता नहीं चलता क्‍या भाव मिलेगा

महाराष्‍ट्र के हल्‍दी किसानों की बढ़ी च‍िंता, बोले- उपज बाजार पहुंचने तक पता नहीं चलता क्‍या भाव मिलेगा

महाराष्‍ट्र के हिंगोली में बड़े पैमाने पर हल्‍दी की खेती की जाती है, लेकिन यहां केेे किसानों ने नेताओं द्वारा उनकी चिंताओं पर ध्‍यान न देने का आरोप लगाया है. किसानों ने कहा कि बाजार तक उपज पहुंचने तक हल्‍दी के भाव पता नहीं होते. हल्‍दी का कोई उचि‍त मूल्‍य निर्धारण नहीं है. कई बार नुकसान उठाना पड़ता है.

हिंगोली में हल्दी की खेती करने वाला किसान. (फोटो/एएनआई)हिंगोली में हल्दी की खेती करने वाला किसान. (फोटो/एएनआई)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 16, 2024,
  • Updated Nov 16, 2024, 5:29 PM IST

महाराष्ट्र का हिंगोली जिला हल्‍दी की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन यहां के किसानों को बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि इसके कारण उनकी कमाई पर उनका ही नियंत्रण नहीं रह गया है. किसानों ने कहा कि दस महीने फसल उगाने के बाद, यहां तक कि कटाई के समय और उपज बाजार पहुंचने तक उन्‍हें यह पता नहीं रहता कि‍ उन्‍हें उपज का कितना दाम मिलेगा. हल्‍दी किसानों ने कहा कि उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग हमेशा अधूरी ही रही है. अक्‍सर चुनाव के समय किए गए वादे भी कभी पूरे नहीं हुए. यही वजह है कि उनकी आर्थिक परेशानियों में और वृद्धि हो गई है.

10 हजार से ज्‍यादा कीमत मिलने पर मुनाफा

हिंगोली के भांडेगांव गांव के किसानों ने बताया कि वे बाजार में उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं. उन्हें अपनी उपज के बाजार में पहुंचने तक इसकी बिक्री कीमत की जानकारी नहीं होती है. किसानों का कहना है कि अगर कीमत 10,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्‍यादा होती है तो उन्‍हें मुनाफा होता है, लेकिन कीमत इससे नीचे गिर जाए तो उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

एक किसान ने कहा कि उन्‍हाेंने पिछले साल दस महीने जीतोड़ मेहनत की, लेकिन जब फसल बेचने की बारी आई तो मात्र 20,000 रुपये की ही बचत हुई. चुनाव के दौरान नेताओं ने उचित मूल्य निर्धारण को लेकर कई बार चर्चा की, लेकिन इसके बावजूद चुनाव खत्‍म होने के बाद उनकी समस्‍याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता. अब वे वित्तीय अनिश्चितता के संकट में फंसे हुए हैं.

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पिछले साल की कीमतों से नहीं हुआ फायदा

हालांकि, हिंगोली के किसानों ने बाबा साहेब ठाकरे हरिद्रा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के खुलने से हल्दी की कीमतों में सुधार होने की उम्मीद जताई है. भांडेगांव गांव के किसान देवीदास लक्ष्मण ने कहा कि हल्दी की कीमतों में अनिश्चितता से कई बार ऊंची कीमत मिलने से मुनाफा तो होता है, लेकिन कई बार भाव कम होने से लागत भी नहीं निकल पाती. लक्ष्मण ने बताया कि कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आया है, एक बार कीमतें 18,000-19,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं, लेकिन पिछले साल उन्हें मुश्किल से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल कमाई हुई थी. 

बिजली सप्‍लाई भी बड़ी समस्‍या

कीमतों को कंट्राेल करने की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान बाजार के उतार-चढ़ाव के भरोसे अपनी उपज बेचते हैं. हिंगोली के एक अन्य किसान शिवाजी चंपत राय ने अच्छी बारिश के बाद भी हल्दी की खेती के दौरान आने वाली चुनौतियों को लेकर निराशा व्यक्त की. कहा कि बिजली की कमी यहां बड़ी समस्‍या है, जो सिर्फ दो घंटे कम वोल्टेज तक सीमित है. वहीं, किसान बाजार की कीमतों को लेकर अनिश्चितता के कारण चिंतित हैं. (ANI)

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