महाराष्ट्र के कई इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान परेशानी में हैं. खासकर इन दिनों मराठवाड़ा में किसान भारी बारिश-बाढ़ से बेहाल हैं. वहीं, अकोला जिले के म्हैसांग गांव के किसानों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यहां लगभग 50 से 60 किसानों की करीब 300 एकड़ जमीन पिछले एक महीने से पानी में डूबी हुई है. किसानों का आरोप है कि इसी गांव के राजस्व विभाग के मंडल अधिकारी शेख अंसारोद्दीन ने अपनी खेती बचाने के लिए खेत की सीमा पर मिट्टी का बांध खड़ा कर दिया.
इस बांध के चलते खेत से पानी की निकासी पूरी तरह रुक गई और किसानों की जमीन आज भी 7 से 10 फीट पानी में डूबी हुई है. किसानों ने कहा कि जलभराव के कारण वे खरीफ फसल की बुवाई नहीं कर पाए और अब रबी सीजन को लेकर भी कोई तैयारी नहीं हो पा रही है.
मजदूरी, बीज और कर्ज की चिंता ने पहले ही कमर तोड़ दी है, लेकिन प्रशासन हमारी सुनवाई नहीं कर रहा है. पीड़ित किसानों का कहना है कि समस्या बताने पर तहसील कार्यालय में कुछ भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोग पैसे की मांग कर रहे हैं. किसानों ने इस पूरी त्रासदी के लिए मंडल अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है. किसानों के खेत में आज भी 7 से 10 फीट तक पानी है, जिसकी निकासी का मार्ग बंद है.
आरोपों पर सफाई देते हुए मंडल अधिकारी शेख अन्सारोद्दीन ने कहा, “यह सभी आरोप निराधार हैं. मैंने अपने खेत की सुरक्षा के लिए ही बांध बनाया है, किसी को नुकसान पहुंचाने की मंशा नहीं थी. जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी.”
वहीं, इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है. जिलाध्यक्ष गोपाल दातकर ने कहा, “सरकार और प्रशासन किसानों की आत्महत्या का इंतजार कर रहे हैं क्या? अधिकारी खुद किसानों की जमीन डुबा रहे हैं और सरकार खामोश बैठी है. किसानों के साथ यह सरासर अन्याय है.”
वहीं, किसानों की मांग है कि प्रशासन तुरंत बांध हटाकर पानी की निकासी करे, नुकसान का सर्वे कर मुआवजा दिलाए और दोषियों पर कार्रवाई करे. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी आवाज अनसुनी रही तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे.