ओडिशा की रसबली का स्वाद चखेगी दुनिया, इस स्वादिष्ट मिठाई को मिला जीआई टैग

ओडिशा की रसबली का स्वाद चखेगी दुनिया, इस स्वादिष्ट मिठाई को मिला जीआई टैग

रसबली मिठाई केंद्रपाड़ा शहर के बाहरी इलाके में स्थित पुराने बालादेवजी मंदिर से निकलती है. यह मंदिर 262 साल पुराना है. इसमें पनीर की गहरी तली हुई चपटी लाल भूरी पैटीज होती है जिन्हें गाढ़े दूध में डूबोकर रखा जाता है.

रसबली मिठाई को मिला जीआई टैग                फोटोः एक्सरसबली मिठाई को मिला जीआई टैग फोटोः एक्स
पवन कुमार
  • New Delhi,
  • Oct 06, 2023,
  • Updated Oct 06, 2023, 12:44 PM IST

ओडिशा की एक प्रसिद्ध मिठाई को जीआई टैग मिला है. इससे यहां के लोगों में खुशी ही लहर है. खास कर ओडिशा के तटीय केंद्रपाड़ा जिले के लोगों में खुशी की लहर है कि उनके जिले की खास मिठाई को जीआई टैग मिल चुका है. इससे उस मिठाई की एक अलग पहचान होगी और मिठाई को एक नया बाजार मिलेगा. मंह में पानी लाने वाली यह स्वादिष्ट मिठाई केंद्रपाड़ा में मिलती है. इस मिठाई को रसबली कहा जाता है. मिठाई को जीआई टैग दिलाने के लिए वर्ष 2021 में केंद्रपाड़ा रसबली मेकर्स एसोसिएश और रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट ने रसबली को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन दिया था. 

यह मिठाई केंद्रपाड़ा शहर के बाहरी इलाके में स्थित पुराने बालादेवजी मंदिर से निकलती है. यह मंदिर 262 साल पुराना है. इसमें पनीर की गहरी तली हुई चपटी लाल भूरी पैटीज होती है जिन्हें गाढ़े दूध में डूबोकर रखा जाता है. केंद्रपाड़ा रसबली मेकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बैशवा पांडा ने दि इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह मिठाई जिले के लोगों को लिए आजीविका का स्त्रोत है. जिले में कई लोग रसबली बेचकर अपनी आजीविका कमाते हैं. उन्होंने जीआई टैग मिलने की खुशी जाहिर करते हुए कहा कि रसबली को जीआई टैग मिलने से वो काफी खुश हैं. यह इस उत्पाद को एक विशेष पहचान देगा ताकि कोई दूसरा इस तरह की मिठाई बनाकर बेच नहीं पाएगा और इसके नाम का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. 

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दुनिया की स्वादिष्ट मिठाइयों में एक रसबली

स्थानीय लोगों की मानें तो रसबली की गिनती दुनिया की सबसे स्वादिष्ट मिठाइयों में होती है. पर इस मिठाई को जो पहचान मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पा रही थी क्योंकि इसकी बेहतर एक्सपोर्ट की सुविधा नहीं होने के कारण मार्केटिंग अच्छे से नहीं हो पा रही थी. पर अब जीआई रसबली के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने में मदद करेगा. वैश्विक स्तर पर केंद्रपाड़ा की पहचान बनेगी. बैशवा पांडा ने कहा कि साल 2021 में ही रसबली को को जीआई टैग दिलाने का दावा करने के लिए टीम ने एक डोजियर तैयार किया था. इसके बाद सभी दस्तावेज को राज्य सरकार को सौंप दिया गया था. फिर उस दस्तावेज को राज्य सरकार ने चेन्नई जीआई टैग की रजिस्ट्री ऑफिस चेन्नई भेज दिया था.

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मिठाई निर्माताओं को होगा फायदा

रसबली को जीआई टैग मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बालादेवजी मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष बलभद्र पत्री ने कहा कि मंदिर के प्रमुख भोग में रसबली एक है. इसे 1761 में ओडिशा में मराठा शासन के दौरान किया गया था. अब इस मिठाई को जीआई टैग मिलने से इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अलग पहचान मिलेगी. वहीं केंद्रपाड़ा में रसबली बनाने वाले सौरी साहू ने कहा जीआई टैग मिलने के बाद अब यह अनूठी मिठाई बाजार में और मशहूर होगी. साथ ही जीआई टैग मिल जाने से अब इस मिठाई के कारोबार से जुड़े लोगों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा. साथ ही इस मिठाई अब किसी प्रकार की मिलावट नहीं हो पाएगी. 


 

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