झारखंड में भयंकर सूखे की चपेट में आठ जिले, अधर में लटकी धान की रोपाई

झारखंड में भयंकर सूखे की चपेट में आठ जिले, अधर में लटकी धान की रोपाई

18 अगस्त तक पलामू जिले में राज्य का सबसे कम धान रोपाई कवरेज 2.96 प्रतिशत दर्ज किया गया है. इसके बाद जामताड़ा (5.63%), दुमका (7.66%), गढ़वा (8.43%), धनबाद (10.26%), गिरिडीह (11.42%), कोडरमा (12.61%) और चतरा (16.35%) के नाम हैं.

झारखंड में धान की रोपाई पिछड़ गई हैझारखंड में धान की रोपाई पिछड़ गई है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 19, 2023,
  • Updated Aug 19, 2023, 3:46 PM IST

झारखंड में इस बार भयंकर सूखा देखा जा रहा है. मॉनसून की बारिश न के बराबर है. यहां के आठ जिले ऐसे हैं जहां भारी सूखा है. इन आठ जिलों में खेती लायक पूरी जमीन में 80 फीसद खेत खाली पड़े हैं क्योंकि धान की रोपनी नहीं हो रही है. बारिश के पानी की कमी से ये जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. एक्सपर्ट की मानें तो यहां एक जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक धान की रोपनी का सबसे सटीक समय है. लेकिन पिछले कुछ साल से यहां बार-बार सूखा पड़ रहा है जिससे किसानों ने खेती का पैटर्न बदल दिया है. इसके बावजूद किसानों को राहत नहीं मिली है.

PTI की एक रिपोर्ट बताती है कि 18 अगस्त तक पूरे झारखंड में 43.66 परसेंट धान की रोपाई हुई है. सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था जिसमें से 18 अगस्त तक 7.85 लाख हेक्टेयर में ही रोपाई हो सकी है. यह केवरेज डेटा झारखंड के कृषि विभाग ने जारी किया है. 

इन जिलों में रोपाई पिछड़ी रोपाई

धान रोपाई के मामले में राज्य के कुल 24 जिलों में से आठ जिलों में हालत गंभीर है. 18 अगस्त तक पलामू जिले में राज्य का सबसे कम धान रोपाई कवरेज 2.96 प्रतिशत दर्ज किया गया है. इसके बाद जामताड़ा (5.63%), दुमका (7.66%), गढ़वा (8.43%), धनबाद (10.26%), गिरिडीह (11.42%), कोडरमा (12.61%) और चतरा (16.35%) के नाम हैं.

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धान की पिछड़ी रोपाई पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश सिन्हा ने पीटीआई को बताया, "जून और जुलाई में कम बारिश के कारण कुल मिलाकर बुआई प्रभावित रही. चूंकि बारिश अभी भी जारी है, किसान बुआई कर रहे हैं. लेकिन कुल मिलाकर धान की बुआई की हालत खराब है. हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस साल स्थिति कुछ बेहतर है." 

झारखंड में भयंकर सूखा

झारखंड ने 2022 में 18 अगस्त तक 30.83 प्रतिशत कवरेज दर्ज किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने 29 अक्टूबर, 2022 को राज्य के 260 ब्लॉकों में से 226 को सूखा प्रभावित घोषित किया था और मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना के तहत प्रत्येक प्रभावित किसान परिवार को 3,500 रुपये की नकद राहत देने का निर्णय लिया था. 

झारखंड सरकार ने पिछले साल राज्य के 226 सूखा प्रभावित ब्लॉकों के लिए केंद्र से 9,682 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग की थी. एक अधिकारी ने कहा, केंद्र ने सूखा पैकेज के रूप में 502 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस साल धान, दलहन, मक्का, तिलहन और अनाज सहित खरीफ फसलें 18 अगस्त तक 28.27 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 13.43 लाख हेक्टेयर जमीन में बोई गईं.

किसानों की बढ़ी चिंता

पलामू के किसान सुरेश सिंह ने कहा, "मेरे पास दो एकड़ जमीन है लेकिन कम बारिश के कारण इस साल मैं धान नहीं उगा सका. मैंने खेत के कुछ हिस्से पर मक्का उगाया था लेकिन कीड़ों के हमले के कारण उपज अच्छी नहीं हुई." अब हमें सिर्फ सरकार से ही उम्मीद है.'' उन्होंने कहा कि जिले के अधिकांश किसान ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं.

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मौसम विभाग के मुताबिक, झारखंड में बारिश की कमी अब भी 36 फीसदी है. राज्य में एक जून से 18 अगस्त तक सामान्य बारिश 689.8 मिमी के मुकाबले 422.7 मिमी बारिश हुई. राज्य में 31 जुलाई तक 47 फीसदी बारिश की कमी का सामना करना पड़ा है.

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