हिसार में जुलाई में देरी से बारिश होने के कारण धान का उत्पादन गड़बड़ा गया है. यहां इस सीजन में उत्पादन में करीब 25 से 30 प्रतिशत नुकसान की आशंका है. कृषि विभाग का अनुमान था कि हिसार की मंडियों में 80,000 मीट्रिक टन धान की आवक होगी. खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने भी इसी अनुमान के अनुरूप खरीद की तैयारी की थी, लेकिन अब तक जिले की 13 मंडियों में सिर्फ 50 हजार मीट्रिक टन धान ही पहुंचा है.इन मंडियों में एक महीने से धान की खरीद होते हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है. अब खरीद के लिए सिर्फ 12 दिन और बचे हैं. इस दौरान 10,000 मीट्रिक टन धान की आवक होने की संभावना है.
विभाग ने स्वीकारा है कि जिले में धान की पैदावार कम हुई है. अभी प्रति एकड़ औसत उत्पादन का अनुमान लगाया जाना शेष है, लेकिन विभाग जो संकेत दे रहा है उसके मुताबिक औसत पैदावार में भी काफी कमी आई है. अधिकारियों ने कहा कि फसल बीमा कराने वाले किसानों को औसत से कम पैदावार होने पर मुआवजा मिलेगा.
पैदावार में गिरावट के पीछे जुलाई में करीब 25 दिनों तक बारिश नहीं होना, सिंचाई के लिए पानी की कमी, कुछ इलाकों में धान की फसलों पर रोग और कीटों का हमला और समय पर खाद का नहीं मिलना जैसे कारण हो सकते हैं. जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अमित शेखावत ने कहा, "हमें मंडियों में 80 हजार मीट्रिक टन की आवक का अनुमान था, लेकिन अब आवक 60,000 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है."
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वहीं, कृषि एक्पर्ट्स का कहना है कि खरीफ सीजन की शुरुआत में बहुत ज्यादा गर्मी और और बारिश में देरी के चलते कपास समेत अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. पिछले कुछ सालों से कपास में कीटों के हमले बढ़ गए थे, जिसके चलते किसानों ने धान की खेती चुनी और इस साल जिले में धान का रकबे में बढ़ाेतरी हुई. इस साल जिले में धान का रकबा 1,73,725 एकड़ है और कपास का रकबा 1,81,600 एकड़ से कम होकर 1,31,565 एकड़ पर पहुंच गया है.
वहीं, राज्य में अब रबी सीजन की बुवाई के लिए किसान डीएपी को लेकर परेशान देखे जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में कुछ जिलों में सरकारी खाद बिक्री केंद्रों पर कुप्रबंधन के चलते पुलिस की निगरानी में डीएपी की बिक्री की गई. किसानों का कहना है कि खाद की किल्लत है और कालाबाजारी हो रही है, जबकि सरकार का कहना है कि राज्य में डीएपी की कमी नहीं है. सीएम नायब सिंह सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे परेशान न हों, राज्य में डीएपी की कमी नहीं है.