रियाणा में चुनाव सर पर है. किसान सड़कों पर है इस बीच एमएसपी पर धान की खरीद शुरू हो चुकी है. मंडियों में किसान अपनी फसल लेकर आ रहे हैं. मंडियों से लेकर सड़कों तक में फसलों का ढेर लगा हुआ है. बता दें कि इस चुनाव में सभी पार्टियां किसानों को उनका हक दिलाने का वादा कर रही है. पर सच्चाई यह है कि मंडियों में अनाज भरा हुआ है. फसलों की खरीद और अनाज उठाव का कार्य धीमा चल रहा है. मंडियों में सड़कों के बाहर तक धान रखा हुआ है. किसानों के अनुसार धान की जल्दी खरीद नहीं होने के कारण धान अधिक सूख जा रहा है.
द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार बहादुरपुरा के एक किसान बलबीर सिंह सैनी ने बताया कि वे आठ दिन पहले अपनी अनाज बिक्री के लिए लेकर आए हैं. आठ दिनों से इंतजार कर रहे हैं पर उनकी उपज की बिक्री नहीं हुई है. अपनी फसल के बिकने का इंतजार कर रहे वे अकेले किसान नहीं हैं. उनकी तरह उनके आस-पास से आए हुए कई और किसान हैं जो अपनी उपज बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इधर बिशनगढ़ के किसान शेरोरान मंडी की सड़क के किनारे अपनी उपज लेकर बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि पहले खेत और अब सड़क पर उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
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खरीद में हो रही देरी और फसलों को हे रहे नुकसान से परेशान एक किसान राज कुमार कहते हैं कि उन्हें एक टैबलेट दिया जाना चाहिए. जिससे कि वो अपनी फसलों के बारे में चिंता करने के बजाय चैन से सो सकें. परेशान होकर उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर हालात यही रहे तो किसान आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर होंगे. थानेसर मंडी में भी एक सप्ताह से अधिक आसमान के नीचे बैठने वाले किसान अब यही कह रहे हैं. कैथल मंडी में अजाज बेचने के लिए आए किसानों के मन में भी यही मानसिकता घर कर रही है.
कैथल मंडी में अनाज बेचने के लिए आए एक किसान ऋषिपाल ने कहा कि बाहर रखे-रखे उनका अनाज काला पड़ रहा है. अगर एक सप्ताह के अंदर उनके अनाज की खरीद नहीं होती है तो फिर उन्हें औने-पौने दामों में अपने अनाज को बेचना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि धान के ढेर की सुरक्षा के लिए एक गार्ड को प्रति रात एक हजार रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है. इसी तरह कासन गांव के महेश सिंह पिछले 9 दिनों से फसल बिकने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर फसल बिक गई तो वे वोट देने जाएंगे नहीं तो वोट नहीं दे पाएंगे.
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वहीं इस पूरे मामले को लेकर कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा ने कहा कि फसलों की खरीद भी हो रही है और उठाव भी हो रहा है. जो किसान मंडियों में डेरा डाले हुए हैं उनके अनाज में नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से अधिक है. इसलिए वे इसे सूखा रहे हैं. उन्होंने कहा की फसल की खरीद भी सही समय पर की जा रही है और समय पर भुगतान भी किया जा रहा है. इधर राहुल गांधी ने भी धान खरीद में हो रही देरी के मामले को एक रैली के दौरान उठाया है.