देश की राजधानी दिल्ली में इसके निकटवर्ती राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली से होने वाले प्रदूषण से वायु गुणवत्ता की स्थिति काफी भयावह हो जाती है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर बैन लगाया है. हाल ही में पंजाब और हरियाणा में इन घटनाओं को न रोक पाने और उल्लंघन करने वाले किसानों पर कार्रवाई नहीं करने पर इन राज्यों के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी, जिसके बाद यहां पराली जलाने पर ताबड़ातोड़ एक्शन लिया जा रहा है. इसी क्रम में कृषि विभाग ने अंबाला के 42 किसानों पर 1.05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और 35 के खिलाफ रेड एंंट्री दर्ज की गई है.
'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, नग्गल और बरारा क्षेत्र में पराली जलाने के आरोप में दो किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग ने 82 सक्रिय रूप से पराली जलाने वाले स्थानों की पहचान की है, जिनमें से यहां 46 स्थानों पर पराली जलाने की पुष्टि हुई है, जबकि 36 जगहों पर पराली जलाने की गतिविधि नहीं पायी गई. इसके अलावा पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर 35 रेड एंट्री दर्ज की गई हैं. ये किसान अब दो साल तक सरकारी एमएसपी पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
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अंबाला के कृषि उप निदेशक डॉ. जसविंदर सैनी ने बयान दिया है कि धान की पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है. टीमें गांव-गांव घूम रही हैं और किसानों को पराली जलाने से बचने और पराली प्रबंधन के लिए सरकारी मदद का लाभ उठाने के लिए कह रही हैं. पिछले दो दिनों में खेतों में आग लगने की कोई नई घटना सामने नहीं आई है. हालांकि, कुछ इलाकों में कई खेतों में पराली जलाने की घटनाएं सामने आने के बाद लापरवाही बरतने वाले तीन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के बैनर तले कई किसान डिप्टी कमिश्नर पार्थ गुप्ता से मिले. किसानों ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और फसल पोर्टल पर दर्ज रेड एंट्री रद्द करने की मांग करते हुए अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. इधर, भारतीय किसान यूनियन (एसबीएस) के जिला अध्यक्ष गुरमीत सिंह ने कहा किसानों पर हो रही कार्रवाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि सरकार जुर्माना लगाकर, एफआईआर और फसल पोर्टल पर रेड एंट्री दर्ज कर किसानों को निशाना बना रही है. किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. सरकार किसानों को पर्याप्त मशीनरी देने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया जाता. सरकार को किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और रेड एंट्री को रद्द करना चाहिए.