छत्तीसगढ़ में रायपुर के कोंडागांव इलाके की प्रगतशील किसान वेदेश्वरी शर्मा की अगुवाई में सुगंधित धान की जैविक खेती की कारगर परियोजना चल रही है. इसकी सफलता से प्रभावित होकर अब तक 800 किसान इससे जुड़ चुके हैं. इसके फलस्वरूप कोंडागांव इलाके के किसानों में जैविक पद्धति से धान की खेती के साथ फल एवं सब्जी की भी खेती लोकप्रिय होने लगी है. शर्मा का कहना है कि जैविक तरीके से उपजाई गई सुगंधित धान का समूह के किसानों को बेहतर मूल्य भी मिलने लगा है. इससे साल दर साल इसकी खेती का रकबा बढ़ रहा है. यह परियोजना राज्य सरकार की देखरेख में चल रही है. सरकार की ओर से बताया गया कि जैविक धान को बेचने के लिए किसानों को अब मंडी और बाजार में जाने की जरूरत भी नहीं होती है. जैविक उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनियां किसानों से सीधे उनकी जैविक धान की नकद खरीद कर लेती हैं.
कोंडागांव में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसान से उद्यमी बनीं वेदेश्वरी शर्मा की अगुवाई में 'दण्डकारण्य एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी' के नाम से एफपीओ का गठन किया गया है. यह एफपीओ स्थानीय प्रगतिशील किसानों द्वारा संचालित है. इसका उद्देश्य खेती को लाभकारी बनाने के साथ किसानों को बाजार की शोषणकारी ताकतों से बचाना है. शर्मा का कहना है कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को एफपीओ द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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प्राकृतिक खेती का मूल सिद्धांत किसानों को 'खेत पर मेंड़ और मेड़ पर पेड़' लगाने के लिए प्रेरित करता है. जिससे वर्षा जल खेत में सुरक्षित हो और मेड़ पर पेड़ लगाने से बागवानी फसलों के लिए अतिरिक्त जगह मिले. शर्मा ने बताया कि जैविक तरीके से खेती करने का चलन बढ़ने के कारण खेतों का स्वरूप भी बदलने लगा है. इसके फलस्वरूप कोंडागांव ब्लॉक में दर्जन भर गांवों के किसान सुगन्धित धान की जैविक खेती करने के साथ ही अब खेतों की मेड़ पर भी फलदार पौधे, जिमीकंद, तिखूर, अरबी, दलहन आदि की खेती कर मुनाफा कमाने लगे हैं.
शर्मा ने जैविक खेती और गौसेवा के माध्यम से इलाके की हजारों महिलाओं को न सिर्फ इस परियोजना से जोड़ा है, बल्कि उनके स्वावलंबन की सूत्रधार भी वही हैं. राज्य सरकार के गौ सेवा आयोग से लेकर कई संस्थाओं ने शर्मा के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित भी किया है. प्राकृतिक खेती में गाय के महत्व को बताते हुए शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की गौठान निर्माण और गोधन न्याय योजना, जैविक पद्धति से सुगंधित धान की खेती करने की इस परियोजना को कामयाब बनाने में मददगार साबित हुई है.
उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सकता है. उनका कहना है कि इस योजना ने गौ-सेवा और जैविक खेती को लेकर उनके समूह से जुड़े किसानों का उत्साह दोगुना कर दिया है.
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शर्मा की अगुवाई में संचालित कामधेनु गौ सेवा संस्था के माध्यम से भी गोवंश संरक्षण एवं जैविक खेती के प्रयोग किए जा रहे हैं. उन्हेंने बताया कि कोंडागांव से 20 किमी दूर बड़ेकनेरा गांव में चल रही इस संस्था में सैकड़ों लावारिश एवं लाचार गौवंशीय पशुओं की देख-भाल, उपचार एवं चारे-पानी का प्रबंध गांव वालों की मदद से किया जा रहा है. इस गौशाला में पलने वाले गाय और बछड़ों को गांव के जरूरतमंद किसानों को दान में भी दिया जाता है. इससे गाय को पालने वाले किसान अपनी आय बढ़ाने के साथ जैविक खेती भी करते हैं.
उन्होंने बताया कि गौशाला में गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक और फसल वृद्धि वर्धक जीवामृत तैयार किया जाता है. इसके अलावा गोबर से उपले, दीया, गमला और अन्य सामान भी बनाए जाते हैं. इससे संस्था में काम करने वाली महिलाओं एवं अन्य गौ सेवकों की अतिरिक्त आय होती है. एफपीओ के साथ कामधेनु गौ संस्था के बेहतर संचालन एवं किसानों को धान की जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली वेदेश्वरी शर्मा को भुइंया का भगवान अवार्ड और लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड सहित अन्य कई सम्मान मिल चुके हैं.